रुड़की/हरिद्वार – समस्या यह है कि पिछले बीस सालों में नगर में एक भी जन प्रतिनिधि ऐसा नहीं चुना गया जिसने सार्वजानिक हितों को कोई प्राथमिकता दी हो। जबकि नगर का निर्माण वही कर सकता है जिसके भीतर अपने पद की ज़िम्मेदारी का अहसास हो। यह नगर का दुर्भाग्य है कि वह 2008 के बाद से ही विधायक बनाम निकाय प्रमुख के बीच संघर्ष का अखाडा बना हुआ है। बहरहाल, फिल्हाल मौका निकाय चुनाव से ऐन पहले का है और तमाम लोग मेयर बनने के लिए पर तोल रहे हैं। इनमें किसकी क्या हैसियत है, इस पर चर्चा हम बाद में, अगली किश्तों में, करेंगे। फिलहाल एक नज़र उन मुद्दों पर जो नगर के लिए बेहद अहम हैं।
नगर की भीतरी सड़कों पर यातायात का दबाव कम करने के लिए ज़रूरी है कि नगर को एक रिंग रोड मिले। सहारनपुर मार्ग को हरिद्वार मार्ग से जोड़ने के लिये सोलानी नदी के किनारे रामपुर से माजरा तक मार्ग बने और रेलवे लाइन के पार रहीमपुर से मोहनपुरा तक सीधा मार्ग बने। इसके साथ ही गंग नहर पर दो पुल बनाये जाएँ। एक सोत मोहल्ले से और दूसरा सैनिक कॉलोनी से। यूँ नगर का एक हिस्सा दूसरे हिस्से को जोड़े। साथ ही बाज़ारों में स्थाई अतिक्रमण को हटाकर ढांचागत सुविधाओं का विकास हो। सड़कों की चौड़ाई बढ़ाई जाए। पूरे नगर के साथ उप नगरीय क्षेत्रों में नाला निर्माण कर जल निकासी की समस्या का हल हो। यातायात नियंत्रण के लिए स्थाई नीति बने और यातायात पुलिस बल की स्थापना हो। नेहरू स्टेडियम में सुविधाओं का विकास हो। पैवेलियन के अलावा चारों ओर बनी सीढियां दोबारा बनायी जाएं और नगर का बरसाती पानी स्टेडियम में न जाये, इसकी व्यवस्था हो। मांस-मीट-मछली के लिये सोलानी नदी के किनारे अलग बाजार बनाया जाए। गली-मोहल्लों में खुली मांस-मीट की दुकानें बंद हों।
नगर में कोई एक पर्यटन स्थल बनाया जाए। पार्क विकसित किये जायें। बाज़ारों में खड़े रहने वाले ठेली वालों को कहीं एक स्थान पर जगह दी जाए तथा विभिन्न स्थानों पर पार्किंग बनायी जाए। इसके साथ-साथ पूरे नगर में पेयजल और मूत्रालयों का निर्माण हो।
जो अपने भीतर उपरोक्त या अपनी सोच के मुताबिक उपरोक्त समस्याओं के हल का माद्दा रखता हो, बेहतर है वही मेयर चुनाव में आगे आये।
– रूडकी से इरफान अहमद की रिपोर्ट