आजमगढ़- सरकार जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005 को प्रभावी बनाने में जुट गई है। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मण्डलायुक्त जगत राज की अध्यक्षता में सोमवार को उनके कार्यालय सभागार में मण्डल जनपद के जन सूचना अधिकारियों एवं अपीलीय प्राधिकारियों कों प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त पारस नाथ गुप्ता ने भी भाग लिया। जिलाधिकारी शिवाकान्त द्विवेदी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम से अनुपस्थित रहने के कारण जिला पूर्ति अधिकारी तथा जिला पंचायत राज अधिकारी का एक दिन का वेतन रोकने का निर्देश दिया गया।
राज्य सूचना आयुक्त पारस नाथ गुप्ता ने कहा कि जन सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को लागू हो जाने के उपरान्त आम जन को अपने अधिकारों की प्राप्ति में काफी जागरूकता आयी है। इसका सदुपयोग करते हुए लोग लाभान्वित भी हो रहे हैं। उन्होने यह भी कहा कि सूचना प्राप्ति का अधिकार देश में संविधान लागू होने के समय से ही है, परन्तु आफिशियल सीक्रेट ऐक्ट के तहत शासकीय कार्यां की जानकारी आम आदमी तक नही पहुंच पाती थी।
राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि शासकीय कार्यों में पारदर्शिता लाने तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से इस अधिनियम को लागू किया गया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रत्येक लोक प्राधिकरण की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही विकसित कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है। उन्होने कहा कि इस अधिनियम के लागू होने बाद से निश्चित रूप से भ्रष्टाचार में कमी आयी है।
उन्होने उपस्थित सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि आरटीआई के सम्बन्ध में जो भी शंकायें और जिज्ञासायें हैं उसको दूर कर सुनिश्चित करें कि भविष्य में सूचनाएं उपलब्ध कराने में गलतियां न होने पायें। उन्होने यह भी निर्देश दिया कि अपीलीय प्राधिकारीगण आवेदकों द्वारा चाही गयी सूचनाएं समय से उपलब्ध करायें ताकि प्रकरण आयोग स्तर पर जाने से बच जायें।
मण्डलायुक्त जगत राज ने कहा कि जन सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एक क्रान्तिकारी अधिनियम है, इससे जहां कार्यां मे पारदर्शिता आयी है वहीं भ्रष्टाचार में भी निरन्तर कमी आ रही है। इस अधिनियम से सरकारी कर्मचारियों को सबसे अधिक फायदा हुआ है। जिन कर्मचारियों को एसीपी आदि का लाभ अनुमन्य होने के बावजूद नही मिल पा रहा था वे इस अधिनियम का सहारा लेकर अपने अधिकारों को प्राप्त कर रहे हैं। जन सूचना का अधिकार अधिनियम ग्रामीण स्तर पर भी काफी उपयोगी सिद्ध हुआ है तथा इससे ग्रामीणों मे भी सूचना प्राप्ति के प्रति काफी जागरूकता आयी है।
उन्होने समस्त विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस अधिनियम के अन्तर्गत जो सूचनाएं उपलब्ध करायी जायें उसका तामिला अनिवार्य रूप से करायें। आरटीआई के तहत मांगी गयी सूचनाएं उपलब्ध कराने मे किसी प्रकार की हीला हवाली और बहाने बाजी नही होनी चाहिए। राज्य सूचना आयोग द्वारा प्रशिक्षक के रूप में नामित स्टेट रिसोर्स पर्सन राजेश मेहतानी ने अधिकारियों को प्रशिक्षण देते हुए कहा कि आम जन को सूचना प्राप्त करने का अधिकार देश में संविधान लागू होने के साथ ही प्राप्त हो गया था परन्तु इसके क्रियान्वयन को अनिवार्य बनाने के लिए 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया। उन्होने कहा कि लोक प्राधिकरण के नियन्त्रण में उपलब्ध सूचना तक लोगों की पहुंच को सुनिश्चित करना भी इस अधिनियम का एक उद्देश्य है। श्री मेहतानी ने कहा कि इस प्रकार का अधिनियम सबसे पहले 1766 में स्वीडन में पहली बार लागू किया गया है तथा वर्तमान में कुल 98 देशों मे इस प्रकार का अधिनियम लागू है।
उन्होने जन सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सूचनाएं उपलब्ध कराने के प्रत्येक बिन्दुओं को रेखांकित करते हुए विस्तार से सभी जन सूचना अधिकारियों एवं अपीलीय प्राधिकारियों को विस्तार से बताया तथा अधिकारियों द्वारा व्यक्त की गयी अनेक जिज्ञासाओं और शंकाओं का भी समाधान किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन अपर सांख्यिकीय अधिकारी सुनील कुमार प्रजापति ने किया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि राज्य सूचना आयुक्त पारस नाथ गुप्ता, मण्डलायुक्त जगत राज, जिलाधिकारी शिवाकान्त द्विवेदी, अपर आयुक्त राजेन्द्र कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर संयुक्त विकास आयुक्त हरीश्चन्द्र वर्मा, अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ0 एनएल यादव, मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार उपाध्याय, मुख्य राजस्व अधिकारी आलोक कुमार वर्मा, उप निदेशक अर्थ एवं संख्या राजा राम यादव, उप निदेशक पंचायत जयदीप त्रिपाठी, पुलिस अधिक्षक ग्रामीण एनपी सिंह, परियोजना निदेशक दुर्गादत्त शुक्ल सहित अन्य मण्डल एवं जनपद के अधिकारी उपस्थित थे।
रिपोर्ट-राकेश वर्मा आजमगढ़