बरेली। बमनपुरी रामलीला में आज सीता जन्म की कथा का वर्णन गुरु मुनेश्वर दास जी द्वारा काव्य रूप में किया गया, उन्होंने बताया कि रामायण में माता सीता के जन्म के विषय में कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं पर सबसे विशेष कथा है जिसके अनुसार कहा जाता है कि देवी सीता राजा जनक की गोद ली हुई पुत्री थीं जबकि कहीं-कहीं इस बात का जिक्र भी मिलता है कि माता सीता लंकापति रावण की पुत्री थीं। माता सीता को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है जिनका विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र और स्वंय भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्रीराम से हुआ था। विवाह के उपरांत माता सीता को भगवान राम के साथ 14 साल का वनवास व्यतीत करना पड़ा। वाल्मिकी रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में पड़े भयंकर सूखे से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे, तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद राजा जनक ने धरती पर हल चलाया। तभी उन्हें धरती में से मटके के अन्दर एक सुंदर कन्या मिली। राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उस कन्या को हाथों में लेकर उन्हें पिता प्रेम की अनुभूति हुई। राजा जनक ने उस कन्या को सीता नाम दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया। जिसके बाद राजा जनक ने सीता का पालन पोषण किया और उनका विवाह श्रीराम के साथ संपन्न कराया। फिर वनवास के दौरान रावण ने सीता का अपहरण किया जिसके कारण श्रीराम ने रावण का वध किया और इस तरह से सीता रावण के वध का कारण बनीं। राजा जनक की पुत्री होने के कारण ही माता सीता को जानकी भी कहा जाता है।
रामलीला अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी ने सीता जन्म के इस सुअवसर स्वरूपों के साथ फूलो की होली खेली व पूरे क्षेत्र वासियों ने फूलों की होली खेल प्रसाद का आनंद लिया, प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि कल लीला में ताड़का सूबाहु वध तथा अहिल्या उद्धार की कथा का मंचन होगा। आज की रामलीला में कोषाध्यक्ष सुनील रस्तोगी, सह कोषाध्यक्ष नवीन शर्मा, उपाध्यक्ष नीरज रस्तोगी, दीपेन्द्र वर्मा, जुलूस प्रभारी महिवाल रस्तोगी, अनमोल रस्तोगी, महामंत्री अंशु सक्सेना, रामलीला प्रमुख विवेक शर्मा, पंकज मिश्रा ने स्वरूपों की आरती उतार प्रभु का आशीर्वाद लिया।
– बरेली से सचिन श्याम भारतीय