राज्य में भ्रस्टाचारियों और नकल गिरोह माफियाओं के खिलाफ जबरदस्त हुआ ट्विटर ट्रेण्ड……

बाड़मेर/राजस्थान- भ्रष्टाचारियों और नकल गिरोह माफियाओं का बेरोजगार स्टुडेंट्स के लिए एक बहुत बड़ा कलंक है जो हमारे राज्य के बेरोजगार स्टुडेंट्स के भविष्य को दीमक की तरह दिनों-दिन खाता जा रहा है। जिससे हमारे राज्य की विकास गाथा बहुत धीमी हो चुकी है क्योकि सब रूपए पैसे और धन दौलत के लालच में आकर बेरोजगार स्टुडेंट्स के साथ खिलवाड़ कर आजकल चोर,बईमान और चरित्रहीन जो हो गए है। मौजूदा हालातों को देखते हुए भ्रष्टाचारियों के साथ मिलकर नकल गिरोह माफियाओं की शह पर ही एक भयंकर मानसिक बीमारी की तरह पुरे देशभर में फ़ैल चुकी है। जिसके कारण सरकारी भ्रस्टाचारियों और नीजी नौकरी पेशा करने वाले लोग पेपर की सुरक्षा व्यवस्थाओं से खिलवाड़ कर बईमान, चरित्रहीन और अपनी आदतों से लाचार हो गए है।

भ्रष्टाचार की बुनियादी शुरुआत हमारे अपने ही लोगों ने अपने परिवार के लिए सरकारी नौकरियां लगाने के चक्कर में अवसरवादी युवाओं के साथ हुई जिन्होंने पहले ही हमारे देश को अधिक नुकसान पहुंचाया है। जो लोग अपने सही सिद्धांतों पर निस्वार्थ काम करते हैं, वे गैर मान्यता प्राप्त सगठनो से होते हैं और उन्हें आधुनिक समाज में आजकल नयें नये धन्नासेठों की नज़रों में मूर्ख माना जाता है।

देशभर में आजकल भ्रष्टाचार नौकरशाहों, राजनेताओं और नकल गिरोह माफियाओं से मकड़जाल करने वाले अपराधियों के बीच संबंध की एक मज़बूत कड़ी है। पहले रिश्वत का लेन-देन गलत चीजों को करने के लिए किया जाता था, लेकिन अब रिश्वत का भुगतान सरकारी कार्यालयों में सही कामकाज को समय पर काम करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा भ्रष्टाचारियों द्वारा अपने बजट ओर हिसाब से बहुत कुछ सम्मानजनक हो गया है, क्योंकि सम्मानित लोग इसमें ज्यादातर शामिल हैं। बाजार में मिलने वाले उत्पादों का कम वजन, खाद्य पदार्थों में खुल्लेआम मिलावट और विभिन्न प्रकार की रिश्वतखोरी जैसी सामाजिक रिश्तों नातों पर भ्रष्टाचार लगातार हमारे समाजो में व्याप्त है।

आज के समय में अगर कोई व्यक्ति इमानदारी से सरकारी नौकरी करना चाहता है, तो उच्च अधिकारियों को तयशुदा लाखों रुपये का प्रतिमाह भुगतान समयानुसार करना पड़ता है। प्रत्येक सरकारी कार्यालय में या तो संबंधित कर्मचारी को तयशुदा समय पर पैसे देने होते हैं या काम करने के लिए कुछ अन्य स्रोतों की व्यवस्थाएं मजबूरन करनी होती है।

आमतौर पर जनता जनार्दन को राहत देने वाले सरकारी कार्यालयों में जैसे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य,रसद विभाग द्वारा खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग में उत्पादों की मिलावट और डुप्लिकेट वजन है, जो लोगों के स्वास्थ्य और जीवन के साथ खुल्लेआम खिलवाड़ करके उपभोक्ताओं को धोखा देते हैं। संपत्तियों के मूल्यांकन में अधिकारी सरकारी धन और नियमों के अनुसार घर का निर्माण करने पर भी कभी कभार जमकर पैसा वसूलते हैं। जिलों में तैनात सरकारी अधिकारियों और आजकल प्रत्येक विभाग में कर्मचारियों द्वारा अपने अपने हिसाब से विभागों में मजबूत पकड़ के साथ ही अपने लिए सुरक्षित जमीं पर सरकारी दामादों की तरह सालों से विराजमान हैं।

भारत में राजनीतिक भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा खराब है। चिंता का प्रमुख कारण यह है कि भ्रष्टाचार राजनीतिक संस्थाओं को कमजोर कर रहा है और समाज को नियंत्रित करने वाले कानून के सर्वोच्च महत्व को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। आजकल राजनीतिक लोग केवल अपराधियों को बचाने के लिए ही अपनी राजनीति करते है और अपराधी राजनीतिक आकाओं की शरण में आकर और मजबु होते हैं।

किसी विद्वान व्यक्ति ने अपनी लेखनी में लिखा है कि देश के कई हिस्सों में चुनाव एक आपराधिक गतिविधियों की मेजबानी से जुड़े हुए हैं। मतदाताओं को किसी विशेष उम्मीदवार को वोट देने या शारीरिक रूप से मतदाताओं को मतदान केंद्र पर जाने से रोकने के लिए – विशेष रूप से आदिवासी, दलित और ग्रामीण महिला जैसे समाज के कमजोर वर्ग देश के कई हिस्सों में होते हैं। लेकिन उनमें से कई वृद्धि से नाखुश हैं और चाहते हैं कि सरकार वेतन को बहुत अधिक बढ़ा दे। इससे साफ पता चलता है कि राजनेता मौद्रिक लाभ के लिए निरंतर प्यास में रहते हैं और लोगों के कल्याण की परवाह तक नहीं कर रहे हैं। गावों मु राजस्व कर चोरी भ्रष्टाचार के सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक है। यह ज्यादातर सरकारी अधिकारियो द्वारा किया जाता है जो काले धन के संचय की ओर ले जाते हैं जो बदले में लोगों के नैतिक मूल्यों को खराबी दिखाने के लिए करता है।

सबसे बड़ी बात इंसान का चंचल स्वभाव है। सामान्य तौर पर, लोगों को आधुनिक विलासिता और हाईटेक प्रणाली से लैस सुख-सुविधाओं ओर शानो-शौकत की बहुत ज्यादा प्यास होती है और इसके परिणामस्वरूप वे स्वयं को उन सभी भ्रामक गतिविधियों में शामिल कर लेते हैं जिसके परिणामस्वरूप अनुचित तरीके से ज्यादा से ज्यादा पैसा वसूल करते हैं। सरकारी कर्मचारियों द्वारा अवैध तरीकों से पैसा कमाने के लिए मजबूर हैं। क्योकि उन्हें दिया जाने वाला वेतन उनके आधुनिक युग की रहन सहन की रेडिमेड शैली के अनुसार बहुत ही कम है। लेकिन उनके द्वारा निजी व्यक्तियों को चौथ वसूली करने के लिए अपनी सुविधानुसार हमेशा अपने आस-पास ही मौजूद रखतें हैं।

अपराधियों पर अग्रेजी शासन के बाद में सरकार द्वारा लगाए गए दंड अपर्याप्त हैं। पिछले साल ही अशोक गहलोत सरकार द्वारा नकल गिरोह माफियाओं के ख़िलाफ़ सख्त कार्यवाही का कानून लागू किया गया था और नकल गिरोह माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए अन्यथा युवा पीढ़ी के बेरोजगार स्टुडेंट्स सरकारी नौकरियां का आवेदन करना ही बन्द कर देगें कारण परीक्षा देने में कोई फायदा नही कभी भी पेपर लीक हो गया तो फिर आवेदन करने से अच्छा है कोई छोटा मोटा अपने परिवार के लिए रोजगार शुरू कर परिवार का पालन पोषण करें l

दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में नये नये सफेदपोश राजनीतिक नेताओं ने आजकल नशीले पदार्थों की तस्करी कर आने वाली युवा पीढ़ियों के साथ ही आने वाले समय में हमारे समाजों का ढर्रा पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। वे एक शानदार रेडिमेड जीवन जीते हैं और अपने समाजों की परवाह भी नहीं करते हैं। राज्य के ग्रामीण इलाकों में लोग आज-कल जागरूक नहीं होने के कारण ही समाजो में व्याप्त बुराईयों ओर असामाजिक तत्वों के खिलाफ आवाज उठाने से डरते हैं। मौजूदा हालात में राजस्थान पुलिस द्वारा किया गया काम वाकई काबिलेतारीफ है और राज्य में अपराधियों में भय और आमजन की सुरक्षा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है कारण तो सिर्फ एक ही है दमदार शख्शियत के दिनेश सर बहुत बहुत बधाइयाँ बेरोजगार स्टुडेंट्स के लिए भी ऐसा ही कुछ होगा?

– राजस्थान से राजूचारण

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