बरेली। मरकज-ए-अहले सुन्नत दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने देश के मालदार (अमीर) मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि जिन पर जकात फर्ज है, वो शरई मालदार मुसलमान (जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या इसकी कीमत या साढ़े बावन तोला चांदी या इसकी कीमत, रुपए-पैसे या चल-अचल संपत्ति हो वो इस्लाम में मालदार व्यक्ति कहलाता है) अपने माल की जकात व सदका-ए-फित्र की रकम जल्द से जल्द अदा करें। अल्लाह ने उन्हें देने वाला बनाया है न कि लेने वाला। दरगाह मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि मुसलमानों को उनकी आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है और एक साल बीत गया हो उस माल पर कुल ढाई प्रतिशत हिस्सा गरीबों में देना अनिवार्य है। वहीं सदका-ए-फित्र वाजिब है। सदके की रकम बच्चों की तरफ से निकालनी है। सदका-ए-फित्र 2 किलो 47 ग्राम गेहूं या चार किलो 94 ग्राम जौ, खजूर या मुनक्का या इसकी कीमत अदा करनी है। जकात व सदके की रकम मां-बाप, दादा-दादी, नाना-नानी व नाती-नवासों को नही दी जा सकती। इसके अलावा भाई-बहन, चाचा-चाची, मामू-मुमानी, फूफी-फूफा, खाला-खालू के अलावा रिश्तेदारों और मदरसों, बीमारों, जरूरतमंद जो गरीब हो उनको भी दे सकते है।।
बरेली से कपिल यादव