तारीफ करूं क्या उसकी जिसे इंसान बनाया : राजू चारण

बाड़मेर/राजस्थान- आजकल हाईटेक प्रणाली के युग में भी प्रशंसा लोगों को खुशी और आनन्द की अनुभूति देती है। इसलिए, प्रशंसा करने में कंजूस बनने का कोई कारण नहीं होना चाहिए। अपने परिवारजनों की गलतियों को दिखाने के बजाय, आइए हम उनसे “बहुत अच्छा कामकाज किया!” कहकर प्रशंसा करते हुए उनका हौसला बढ़ाएं।

यहां तक कि अपने बच्चों को भी जिनके पास विवेक ओर बुद्धि नहीं होती, यदि एक बार उनकी प्रशंसा की जाए, तो वे प्रशंसा पाने के लिए और अच्छे से अपना कार्य करते हैं। एक अनुसंधान के अनुसार, उन छात्रों के ग्रेड जो हमेशा अपने शिक्षकों से प्रशंसा पाते रहे हैं, उन छात्रों से अच्छे होते हैं जो प्रशंसा नहीं पाते। यह केवल बच्चों पर ही नहीं, परन्तु बड़े बड़े लोगों पर भी यह फार्मूला लागू होता है। यह कहा जाता है कि आजकल सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा, “बहुत अच्छा! अच्छा काम किया आपने ” सुनने की ही आशा लोगों से रखते हैं। इससे हम देख सकते हैं कि आजकल लोग प्रशंसाओं के लिए कितना ज्यादा तरसते रहते हैं। यहां तक कि पौधे भी जो बोल या सुन नहीं सकते, प्रशंसा किए जाने पर अच्छे से बढ़ते हैं। मूक पशुओं को भी, यदि उनकी प्रशंसा की जाए, तो फिर शानदार करतब दिखाते हैं। इसलिए यह स्वाभाविक है कि प्रशंसाओं का मनुष्यों पर जो भावात्मक प्राणी हैं, बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।

सबसे अच्छी प्रशंसा जो माता–पिता अपनी संतानों के लिए कर सकते हैं, वह उन पर भरोसा करना है। यदि बच्चा अपनी मां से पूछे, “यदि आप यहां नहीं होंगी, तो मुझे कौन नींद से उठाएगा?” और मां उससे कहे, “मुझे भरोसा है कि तुम अपने आप भी उठ सकते हो,” तो बच्चे के अंदर आत्मविश्वास आएगा। जब कोई हम पर भरोसा करता है, तो हमें लगता है कि कोई है जो हमें समझता और पसंद करता है। तब हम कुछ करने की इच्छा से भर जाते हैं, और जिसने हमारी प्रशंसा की थी उस व्यक्ति की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए मेहनत से काम करते हैं। कभी–कभी हम अपनी छिपी हुई क्षमताओं को बाहर निकालते हैं और ऐसे कामों को करते हैं जो पहले हमें नामुमकिन लगते थे।

प्रशंसा केवल उसे पानेवाले पर ही नहीं, बल्कि उसे देनेवाले पर भी अच्छा–खासा प्रभाव छोड़ती है। जब आप किसी की मन से प्रशंसा करते हैं, तो आप सकारात्मक सोच रख सकते हैं, और आप अधिक से अधिक तालमेल बना सकते हैं। किसी बात को सोचने के लिए एक ऐसे तरीके के बारे में बताया गया है जिसके द्वारा आप उन लोगों को भी पसंद करने लगेंगे जिन्हें आप पहले नापसंद करते थे: यदि कोई अपने ही विचार पर जोर से अड़ा रहता है, तो उसे जिद्दी व्यक्ति मानने के बदले ऐसा सोचिए कि वह ऐसा व्यक्ति है जिसके पास दृढ़ विश्वास है; और यदि किसी को पैसे खर्च करना पसंद नहीं है, तो उसे कंजूस समझने के बजाय सोचिए कि वह पैसे को बचाने वाला व्यक्ति है। यदि आप इस तरह से अपने सोचने के ढंग को बदल दें, तो आप उन लोगों की भी प्रशंसा कर सकते हैं जिन्हें आप जिंदगी में पसंद नहीं करते, और आप भी सकारात्मक बन जाएंगे। यदि आप केवल दूसरों की गलतियों को देखते हैं, तो आप उनकी प्रशंसा नहीं कर सकते। जब आपके पास किसी की प्रशंसा करने का मन है, तो आप प्रशंसा के योग्य कुछ भी बात खोज सकते हैं। जिस प्रकार इस संसार में कोई भी संपूर्ण नहीं होता, उसी तरह से इस संसार में ऐसा भी कोई मनुष्य नहीं होता जिसके पास एक भी खूबी न मौजूद हो।

चाहे किसी व्यक्ति ने विशेष रूप से कोई महान कार्य न किया हो, फिर भी आप उस व्यक्ति की प्रशंसा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि पत्नी ने अपनी हेयर स्टाइल बदल दी है, और पति यह कहे, “अरे वाह, यह नई हेयर स्टाइल तुम पर अच्छी लग रही है!” तो पत्नी को अच्छा लगेगा। वहीं, चाहे पत्नी ने अपनी हेयर स्टाइल या पहनावा बदला हो, लेकिन यदि परिवार में से कोई उस पर ध्यान न दे या कोई प्रतिक्रिया न दिखाए, तो वह उदास हो जाएगी और यह सोचेगी कि वे सब उस पर ध्यान नहीं देते। अपने परिवार के सदस्यों पर ज्यादा ध्यान दीजिए और किसी छोटे से बदलाव के लिए भी अपने विचार और भावनाओं को व्यक्त कीजिए।

‘मैं प्रयास कर रहा हूं, लेकिन कोई उस पर ध्यान नहीं देता। मुझ पर कोई भी ध्यान नहीं देता।’ यदि कोई इस प्रकार का विचार रखता है, तो वह अपनी योग्यता को पूर्ण रूप से नहीं दिखा सकता और स्वयं को पीड़ित मानते हुए दूसरों की प्रशंसा भी नहीं कर सकता। और जो प्रशंसा पाने के लिए हमेशा अपनी बड़ाई करता रहता है, वह दूसरों को नाखुश करता है। ‘कोई मेरी प्रशंसा नहीं करता,’ यह सोचते हुए दूसरों के प्रति शिकायत करने से पहले आपको चाहिए कि पहले आप मन से दूसरों की प्रशंसा करें। जो उदारता से दूसरों की प्रशंसा करते हैं, वे स्वयं भी बहुत सी प्रशंसा पा सकते हैं।

सभी सफल लोग अपने परिवार के सदस्यों के द्वारा की गई प्रशंसाओं से प्रेरित हुए थे। यह बात सब जानते हैं कि एडिसन जिसे स्कूल में उपद्रवी माना जाता था, एक ऐसा आविष्कारक बन सका जिसके पास 1,000 से ज्यादा पेटेंट थे। लेकिन इसका श्रेय उसकी मां की प्रशंसाओं को जाता है। 20वीं सदी के सर्वाधिक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक आइंस्टीन को स्कूल में एक निकम्मा लड़का माना जाता था, लेकिन वह भी एक महान वैज्ञानिक बन सका। इसका श्रेय भी उसकी मां की प्रशंसाओं और प्रोत्साहन को जाता है जो हमेशा उससे कहती थी, “तुम्हारे पास एक विशेष प्रतिभा है जो दूसरे लड़कों के पास नहीं है। यदि तुम भी दूसरे लड़कों की तरह होगे, तो तुम सफल व्यक्ति कैसे बन सकोगे?”

एक ऐसा व्यक्ति था जो काम से लौटने के बाद एक नए इंजन की खोज करने के लिए हर रोज पूरी रात भर गैरेज में काम करता था। उस समय, कार को धन–दौलत और सत्ता का प्रतीक माना जाता था। लेकिन उसका सपना था कि बहुत से लोग सस्ते दाम में कार खरीद सकें और उसे चला सकें। हर कोई उसकी उपेक्षा करके हंसता था और कहता था कि वह समय बर्बाद कर रहा है, लेकिन उसकी पत्नी ने उस पर भरोसा किया और उसे समर्थन दिया। अंत में, उसने अपना सपना पूरा किया। यह कार के राजा, हेनरी फोर्ड की कहानी है।

कभी–कभी चाहे आपके परिवार के सदस्यों में कुछ कमी हो या वे असंतोषजनक लगते हों, लेकिन यदि आप उनकी प्रशंसा करें और उन्हें प्रोत्साहित करें, तो उन्हें बड़ी सामर्थ्य मिल जाएगी। परिवार के समर्थन से ज्यादा बड़ी सामर्थ्य किसी और चीज से मिल सकेगी? यदि आप चाहते हैं कि आपके परिवार के सदस्यों पर कुछ परेशानी न आए, तो सच्चे मन से उन्हें समर्थन दीजिए और सही समय पर सही प्रशंसा देना कभी न भूलें।

प्रशंसा करते समय यदि आपका चेहरा कड़ा है या उस पर कुछ भाव नहीं है, या फिर यदि आप अपने दोनों हाथों को क्रॉस करके रखें, तो प्रशंसा सुनने वाले को ऐसा नहीं लगेगा कि उसकी प्रशंसा की जा रही है, बल्कि वह उदास हो जाएगा। जब आप किसी की प्रशंसा करते हैं, तो आपका व्यवहार आपकी उस प्रशंसा से मेल खाना चाहिए। उदाहरण के लिए, आप बड़ी मुस्कान दे सकते हैं या उसे गले से लगा सकते हैं या फिर उसे थम्स अप भी दे सकते हैं। चाहे आप कुछ न बोलें, लेकिन आप अपनी हरकतों के द्वारा भी प्रशंसा कर सकते हैं।

किसी की प्रशंसा करने में समय बहुत जरूरी होता है। जैसे कि कहावत भी है कि, “लोहा गर्म है, तब मारो हथौड़ा,” जब कोई व्यक्ति प्रशंसा पाने के योग्य काम करता है, तो उसी समय और उसी जगह ही उसकी प्रशंसा करना सही है। मान लीजिए, एक पत्नी ने कुछ स्वादिष्ट खाना बनाया है। लेकिन कैसा होगा यदि उसका पति खाने के समय कुछ भी न कहकर बहुत बाद में यह कहे, “जो खाना तुम ने एक महीने पहले बनाया था, वह बहुत स्वादिष्ट था”? लेकिन उसके विपरीत, यदि वह खाते ही तुरन्त बोले, “अरे वाह, खाना बहुत स्वादिष्ट है। तुम बहुत अच्छा खाना बनाती हो!” तो कैसा होगा? आपको क्या लगता है, दोनों में से क्या ज्यादा असरकारक होगा?

“तुम अच्छे हो” या “तुम अच्छे लड़के हो” जैसी अस्पष्ट प्रशंसा के बदले, यदि आप विस्तार से प्रशंसा करें, तो यह अच्छा है। उदाहरण के लिए, जब आपका बच्चा कुछ चित्र बनाता है, तब “वह अच्छा है,” केवल ऐसा कहने के बजाय, यदि आप कहें, “वह बहुत से अलग–अलग रंगों से बना बहुत अच्छा चित्र है” या “मैं देख सकता हूं कि तुम ने बहुत सोचकर यह चित्र बनाया है,” तो आपके बच्चे को महसूस होगा कि आप उसके मन को समझते हैं, और वह खुश हो जाएगा।

यदि आप केवल अच्छा परिणाम आने पर ही प्रशंसा करते हैं, तो आपके लिए प्रशंसा करने के क्षण बहुत कम हो जाएंगे, और आप केवल उस व्यक्ति पर दबाव ही डालेंगे। चाहे किसी को मनचाहा परिणाम न मिला हो, यदि आप उसके जोश और प्रयासों के लिए यह कहते हुए उसकी प्रशंसा करें कि, “तुम ने बहुत मेहनत से कोशिश की! तुम्हारे पास अच्छा धीरज है” या “तुम ने तो अच्छा प्रयास किया था, इसलिए यह ठीक है। मुझे विश्वास है कि तुम अगली बार अच्छे से करोगे,” तो वह आत्मविश्वास से भर जाएगा और ज्यादा मेहनत से कोशिश करेगा।

ऐसी प्रशंसा जो गलत बात के लिए की गई हो, या बढ़ा–चढ़ाकर की गई प्रशंसा जिसके कारण कोई घमण्डी महसूस कर सकता है, सही प्रशंसा नहीं है। इसके अतिरिक्त, आपको इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि जब बहुत से लोगों ने मिलकर काम किया हो, तो उस काम के लिए किसी एक व्यक्ति की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए। यदि आप अपने तीन लड़कों के साथ हों और आप कहें कि कोई एक उनमें से अच्छा है, तो दूसरे दो लड़के उदास हो जाएंगे।

कोई भी अपनी प्रशंसा करने वाले से घृणा नहीं करता। मार्क ट्वाइन ने कहा है, “मैं किसी एक अच्छी प्रशंसा के सहारे दो महीने तक जीवित रह सकता हूं,” और जौं–जाक रूसो ने कहा है, “जिस प्रकार घास को बढ़ने के लिए गर्म धूप चाहिए, उसी तरह से एक व्यक्ति को तंदुरुस्त रूप से बढ़ने के लिए प्रशंसा चाहिए।” इस तरह प्रशंसाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं।

आज से अपनी आंखें खोलिए और अपने परिवार के सदस्यों की प्रशंसा योग्य बातों को खोजिए। अच्छे से प्रशंसा करना भी प्रशंसा के योग्य कार्य है। जब आपकी प्रशंसा की जाती है, तो घमण्डी न हो जाइए या शर्म के कारण उसे अस्वीकार न कीजिए, लेकिन नम्र मन के साथ खुशी को आपस में बांटिए। निरन्तर प्रशंसा करने वाला परिवार स्वस्थ और ऊर्जावान होता है।

यदि आप किसी एक व्यक्ति के प्रतियोगी वाले को प्रशंसा करें तो उसे ऐसा लग सकता है कि आप उसकी तुलना प्रतियोगी वाले से कर रहे हैं। इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए। ‘मेरी दोस्त के बेटे ने पहला स्थान जीता है’, ‘मेरी दोस्त के पति को तरक्की मिल गई’, ‘मेरे दोस्त की पत्नी बहुत सुंदर है’ यदि आप इस तरह दूसरों की प्रशंसा करें, तो सुनने वाले परिवार के सदस्यों को अच्छा महसूस नहीं होगा।

– राजस्थान से राजूचारण

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