आजमगढ़ – प्रत्येक मरीज को बेहतर स्वास्थ सुविधा प्रदान करना हमारी प्राथमिकताओं में शामिल है लेकिन पिछले कई दिनों से कुछ लोगों द्वारा रची साजिश के भ्रम में आकर कुछ सामाजिक संगठन बगैर तथ्यों व सच्चाई को जाने व समझे संस्थान को बदनाम कर रहे है। प्रदर्शनकारी संगठनों द्वारा घटना की चिकित्सकीय पैनल से जांच न कराये जाने की मांग अब तक न उठाना उनकी घटिया मानसिकता के चेहरे को उजागर कर रहा है और पूरे प्रदर्शन को किसी के प्रभाव व द्वेष की भावना से प्रेरित करने की नियत को प्रकट कर रहा है। इस साजिश के पीछे किन लोगों का हाथ है यह तो जांच का विषय है लेकिन एक संस्थान के पीछे षड्यंत्रकारी प्रदर्शन अशोभनीय हैं।उक्त बातें वेदांता हास्पिटल के सहसंचालक विशाल जायसवाल ने गुरूवार को वेंदाता स्कूल आफ नर्सिंग पर आयोजित प्रेसवार्ता में कही। श्री जायसवाल ने आगे कहा कि प्रत्येक चिकित्सिक के लिए मरीज एक चैलेंज होता है, और चिकित्सक अपनी पूरी क्षमता व अनुभव के साथ उसका बेहतर इलाज करता है। इसी तर्ज पर अतरौलिया के मरीज का भी इलाज किया गया। उसकी हालत बेहद नाजुक थी जिसके संबंध में हमने उनके परिजनों को पूरी जानकारी भी दिया लेकिन उन्होंने ही उपचार के लिए लिखित रूप से भर्ती करने को कहा और मरीज की स्थिति का अवलोकन करने के बाद पुनः हमने उन्हें शत प्रतिशत जोखिम से अवगत कराया। मरीज के आईसीयू में भर्ती होने के दौरान मरीज का ब्लड प्रेशर व उसकी प्रत्येक जांच इस बात की सबूत है कि वह जिन्दगी और मौत से जुझ रहा था अन्ततः तीन दिन के उपचार के दौरान उसकी मौत हुई। श्री जायसवाल ने स्पष्ट बताया कि आईसीयू में भर्ती मरीज के परिजन निर्धारित समय पर स्वयं उससे मिलते है और समयान्तराल पर मौजूदा रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर वर्तमान स्थिति से अवगत होते रहते है। जब चिकित्सालय द्वारा उसे मृत घोषित किया गया तो कुछ दूर के परिजन हंगामा करने लगे। अस्पताल प्रबंधन मौत के दर्द के सदमे को समझता है इसीलिए हमने उन्हें समझाने की भरपूर कोशिश किया लेकिन जब वे उग्र हो गये तो हमें बचाव करना पड़ा अन्यथा परिजन चिकित्सालय में भारी क्षति पहुंचाने को आमादा थे।
विशाल जायसवाल ने यह भी कहा कि अस्पताल का उदघाटन हम सभी के आदर्श पूर्व राष्ट्रपति स्व अब्दुल कलाम ने किया। संस्थान सदैव उन्हीं के आदर्शो पर चलने को संकल्परत है। इसी संकल्प पर चलकर हमने छह वर्षो की सेवा काल को पूरा किया हैं, यही बातें अन्य को प्रभावित करती है। इसीलिए संगठनों को आगे खड़ाकर कर उन्हें लाइन दिखाने का पूरजोर कार्य कर रहे हैं, जो इस पेशे के लिए अत्यन्त शर्मनाक व दुर्भाग्यपूर्ण है।
रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़