हल्द्वानी- पूर्व सीएम हरीश रावत को अखिल भारतीय राष्ट्रिय काग्रेस कमेटी का राष्ट्रिय महासचिव बनाये जाने के साथ ही असम राज्य का प्रभारी नियुक्त किया गया है। उत्तराखण्ड के कद्दावर नेता माने जाने वाले हरदा के समर्थको में उन्हें नई जिम्मेदारी दिए जाने से ख़ासा उत्साह है ।
गौरतलब है कि भले ही हरदा के समर्थक संगठन में अपने लोकप्रिय नेता को बड़ी जिम्मेदारी मिलने पर इसे हरदा के विरोधियो पर बड़ी जीत बता रहे है, वही राजनैतिक जानकार इस पुरे प्रकरण को अलग ही चश्मे से देख रहे है। जानकारों की माने तो काग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तराखण्ड राज्य में पार्टी में सामंजस्य बैठाने के लिए आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हरदा को बड़ी जिम्मेदारी सौपते हुए अप्रत्यक्ष रूप से यह भी सन्देश दिया है कि वह अब लोकसभा चुनाव नही लड़गे बल्कि उनका कार्य अब अपनी मोनेटिरिंग में पार्टी कंडिडेट को चुनाव लड़वाना है।
सूत्रो का कहना है की यदि पार्टी हाईकमान की यह मंशा सही हुई तो निश्चित रूप से इसका सीधा फायदा नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश को मिलना तय है। क्योकि डॉ इंदिरा ह्रदयेश ने नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का पहले से ही मन बनाया हुआ है, अगर कोई इसके बीच में आ रहा था तो वह थे पूर्व सीएम हरीश रावत। हरीश रावत ने खुद कई मौको पर यह बयान सार्वजनिक रूप से भी दिया था की यदि पार्टी हाईकमान का आदेश हुआ तो वह नैनीताल – ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे ही नही बल्कि जीत कर भी दिखायेगे। जानकारों का कहना है की तभी से पूर्व काबीना मंत्री इंदिरा हृदेयश व हरीश रावत के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। दोनों ही नेता मिडिया में सार्वजनिक रूप से बयानबाजी कर एक दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। लेकिन अब पार्टी हाईकमान के इस निर्णय से यह तो साफ़ हो गया है की अब दोनों नेताओ के बीच छिड़ी जुबानी जंग शांत तो हो जायेगी साथ ही उत्तराखण्ड में दो धड़ो में बटी काग्रेस को एकजुट होने पर भी बल मिलेगा। यदि ऐसा हुआ तो उत्तराखण्ड की पांचो लोकसभा सीटो पर पुनः परचम लहराने के दावे कर रही भाजपा को अपनी नई रणनीति पर कार्य करना होगा।
– देहरादून से सुनील चौधरी