बिहार में भी लोक सभा चुनाव की सरगर्मी तेज होती दिखाई दे रही है। सभी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपने अपने हिसाब से मतदाता को लुभाने में लगे पडे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी चुनावी रणभेरी बजा दी है।उधर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार के भूतपूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जनता को बताना शुरू कर दिया है कि जदयू और बीजेपी ने जनता के साथ धोखा किया है। छल किया है।
नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की दोस्ती पर सबकी नजर बनी हुई है। ये तीनोें एक साथ एक मंच पर चौदह अप्रैल को नजर आने वाले हैं।
आरक्षण के मुद्दे को लेकर बिहार में राजनीति की एक नयी कड़ी बनती दिख रही है, और आने वाले लोक सभा चुनाव में ये मुद्दा सभी राजनीतिक दल के लिए कारगर मुद्दा बनाया जा सकता है।या यूं कहें कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा के चुनाव के लिए मुद्दे तलाशकर बिहार में राजनीतिक जमीन की तलाश की जा रही है
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश नीतीश कुमार, राम विलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की नजदीकियां काफी बढ़ने लगी है जो आने वाले समय में आरक्षण के मुद्दे पर एक बड़ी लड़ाई लड़ने का मैदान तैयार करते नजर आ रहे हैं ।
अब देखना है पिछले विधान सभा के चुनाव में जिस तरह से बिहार की जनता ने नीतीश कुमार से ज्यादा सीटे लालू प्रसाद को दिए थे क्या उनकी ये विश्वसनीयता जनता के बीच बरकार रहेगी या फिर नरेंद मोदी और नीतीश कुमार के आंधी में कहीं गुम हो जाएगी।
-शिव शंकर सिंह,पूर्णिया/ बिहार