जयपुर/राजस्थान- रोडवेज, लो फ्लोर और मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल से जूझ रही राजस्थान की वसुंधरा सरकार को अब आरएएस अफसरों ने भी मुश्किलों में डाल दिया है। आरएएस अफसरों ने भी अब मांगें नहीं माने जाने पर सामूहिक अवकाश पर जाने की चेतावनी दी है।
मांगों को लेकर आरएएस एसोसिएशन की विशेष बैठक अध्यक्ष पवन अरोड़ा की अध्यक्षता में हुई, जिसमें एसीबी की ओर से अनावश्यक प्रमोशन न करने, सलेक्शन, सुपर टाइम, हायर सुपर टाइम स्केल में सारे ड्यू प्रमोशन करने, अनुभव में शिथिलता देकर प्रमोशन करने की मांग, मिड टर्म कैडर रिव्यू करने की मांग को लेकर सरकार को ज्ञापन देने का फैसला किया गया।
बताया जा रहा है कि आरएएस के 77 पदों पर कैंची चलाने को लेकर अधिकारियों में खासा रोष है। आरएएस एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि किसी भी पद में कोई कटौती स्वीकार नहीं होगी।
ग्रामीण विकास अफसरों को सीईओ व एसीईओ पद देने का भी एसोसिएशन ने विरोध किया है। इसके अलावा एसोसिएशन ने प्रमोशन के एक तिहाई पद आरएएस के पास होने, कैबिनेट निर्णय अनुसार एक तिहाई पद आरएएस के होने, अतिरिक्त निदेशक, उपसचिव पद आरएएस से न लेने की मांग की है। अगर ये मांगें पूरी नहीं की गई तो आरएएस अधिकारी सामूहिक अवकाश पर जाएंगे। अगर एेसा हुआ तो यह अपनी तरह का पहला मामला होगा।
बैठक में निर्णय किया गया कि आरएएस अफसरों की मांगों को लेकर सरकार को ज्ञापन दिया जाएगा। ज्ञापन देने के दिन से मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को सात दिन का समय दिया जाएगा। इस अवधि में मांगें नहीं मानने पर आरएएस अफसर सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे।
आरएएस एसोसिएशन की मांग का हो रहा विरोध:-
आरएएस एसोसिएशन जिला परिषद में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एसीईओ) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पद पर विकास अधिकारियों की पदोन्नति नहीं किये जाने के राजस्थान प्रशासनिक सेवा एसोसिएशन की सरकार से मांग के विरोध में विकास अधिकारी खड़े हो गए हैं।
इस पर राजस्थान ग्रामीण विकास सेवा संघ जयपुर के प्रदेश अध्यक्ष बबलीराम जाट ने बताया कि हमारी सर्विस रूल्स में पदोन्नति पर एसीईओ पद लिखा हुआ है। आरएएस एसोसिएशन की मांग अनुचित है।
पंचायतीराज सेवा परिषद की बैठक:-
रविवार को राजस्थान पंचायती राज सेवा परिषद की बैठक हुई। इसमें कर्मचारियों के 12 दिन असहयोग आंदोलन के बाद भी सरकार की ओर से कार्रवाई पर नाराजगी जताई। बैठक में निर्णय लिया कि 24 दिसंबर को पंचायत समितियों में कार्यवाहक विकास अधिकारियों से समर्थन लेकर धरने में बैठाना है। फिर 26 सितंबर को सभी जिला मुख्यालयों पर वाहन रैली कर आक्रोश व्यक्त करेंगे। दो अक्टूबर को राजधानी में अधिकारी-कर्मचारी परिवारजनों के साथ आक्रोश रैली निकालेंगे। तीन अक्टूबर से आमरण अनशन शुरू होगा।