करुणानिधि की मौत के बाद विरासत के लिए शुरू हुआ घमासान

दिल्ली- तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) में एक बार फिर पारिवारिक कलह सामने आ गई है। दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष रहे करुणानिधि के बड़े बेटे अलागिरी ने आज सोमावर को कहा कि वो ही पिता की राजनीतिक विरासत के असली वारिस हैं।

ज्ञात हो कि गत 7 अगस्त को चेन्नई के एक अस्पताल में 94 साल के करुणानिधि की मौत हो गई थी। सोमवार को उनकी समाधि स्थल पर पहुंचे अलागिरी ने एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि उनके पिता के सभी रिश्तेदार उनकी तरफ हैं। तमिलनाडु में पार्टी के सभी समर्थक भी उनकी तरफ हैं और वे लोग उन्हें उत्साहित कर रहे हैं। अलागिरी ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि सभी सवालों के जवाब मिले। बता दें कि अलागिरी केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उन्हें 2014 में करुणानिधि ने पार्टी से बाहर कर दिया था और छोटे बेटे एम के स्टालिन को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था।
करुणानिधि की मौत के बाद उनके दोनों बेटों ने पार्टी पर अपनी-अपनी दावेदारी ठोकी है। बड़े बेटे अलागिरी ने जहां एक तरफ जहां अपनी दावेदारी ठोकी है, वहीं दूसरी तरफ छोटे भाई एम के स्टालिन के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले पर भी सवाल उठाए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि डीएमके में एक बार फिर से पारिवारिक संघर्ष बढ़ जाएगा। बता दें कि एक दिन बाद ही डीएमके की अहम बैठक होने वाली है।
चार साल पहले अलागिरी ने पिता के फैसलों पर सवाल उठाए थे और कहा था कि क्या डीएमके एक मठ है, जहां महंथ अपना उत्तराधिकारी चुनेंगे? बता दें कि 2014 में करुणानिधि ने दोनों बेटों में संघर्ष होने पर अलागिरी को पार्टी से बाहर निकाल दिया था। तब अलागिरी ने बीजेपी और नरेंद्र मोदी का 2014 के लोकसभा चुनावों में समर्थन किया था। भगवा राग गाना पार्टी से निष्कासन का उनका तात्कालिक कारण बना था। तब से अलागिरी मदुरै में सपरिवार रहते थे। जब करुणानिधि मरनासन्न हाल में चेन्नई के कावेरी अस्पताल में भर्ती थे, तब पूरा परिवार वहां मौजूद था। मीडिया में करुणानिधि के पूरे परिवार की तस्वीरें सामने आी थीं, तब लग रहा था कि दोनों भाइयों ने पुराने गले-शिकवे भुला दिए हैं लेकिन पिता की मौत के 6 दिन बाद ही फिर से डीएमके में पारिवारिक महाभारत शुरू हो गई है।

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