*बंगाल की कुछ सीटों पर भी कांग्रेस-टीएमसी में तालमेल संभव’
*कांग्रेस-आप के बीच मध्यस्थता में जुटीं ममता: सूत्र
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ने कांग्रेस को 10 सीटों का ऑफर दिया है. यह विचार देश में लगातार बदलते हालात के बाद हुआ है. सपा-बसपा गठबंधन के नेताओं को लगता है कि इस हालात में एक-एक वोट कीमती है और उसे व्यर्थ नहीं किया जाना चाहिए. इसलिए कांग्रेस के लिए केवल दो सीट यानी रायबरेली और अमेठी छोड़ने वाली गठबंधन ने कांग्रेस को यह न्योता दिया है. अब कांग्रेस को यह तय करना है कि वह क्या कदम उठाती है. हालांकि कांग्रेस सूत्रों ने इसपर चुप्पी साध रखी है, मगर उनका यह जरूर मानना है कि देश में हालात लगातार बदल रहे हैं. ऐसे हालात में उन्हें भी अपनी रणनीति बदलनी होगी।यही वजह है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में इस बारे में कोई पक्की घोषणा करे।कांग्रेस को दिए गए इस ऑफर के साथ ही समाजवादी पार्टी के सूत्र यह भी बताते हैं कि उनकी पार्टी कांग्रेस द्वारा पूर्व समाजवादी नेताओं के साथ संबंध बनाए जाने की कोशिशों से भी नाराज हैं. समाजवादी पार्टी खासकर शिवपाल यादव के साथ प्रियंका गांधी की टेलीफोन पर बातचीत करने से भी खफा हैं..यह भी खबरें थी कि कांग्रेस शिवपाल यादव की पार्टी से गठबंधन करने जा रही है मगर अब कांग्रेस के नेता इसे शिष्टाचार की बात कहकर टाल रहे हैं।
यही नहीं एनसीपी नेता शरद पवार और तेलगु देशम नेता चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस और ममता बनर्जी से बंगाल में गठबंधन करने का आग्रह किया है. साथ ही इन नेताओं ने कांग्रेस से कहा है कि दिल्ली में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए. हालांकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और कांग्रेस भी कुछ दिनों में ऐसा ही करने वाली है। दूसरी तरफ बंगाल में वामदलों ने कांग्रेस के मौजूदा सांसदों के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है. यही नहीं सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र में एनसीपी अपने कोटे में से एमएनएस यानी राज ठाकरे को एक सीट देने जा रहे हैं. महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन लगभग हो चुका है और इसकी केवल घोषणा होनी है वहां पर यह देखना बाकी है कि क्या इस गठबंधन में दलित पार्टियों के लिए जगह होगी या नहीं, क्योंकि अठावले जैसे नेता जो अभी एनडीए का हिस्सा हैं. बीजेपी-सेना गठबंधन में जगह ना दिए जाने से नाराज बताए जा रहे हैं. यानी विपक्ष के नेताओं की कोशिश है कि एनडीए के खिलाफ एक सशक्त मोर्चा बनाया जाए और उसके लिए इस चुनाव में अपने निजी और पार्टी हित से भी थोड़ा समझौता करना पड़े तो किया जा सकता है।