हांफ रही योजनाओं के चलते बूंद बूंद पाने को सूख रहे है हलक

उत्तराखंड- प्रखंड रिखणीखाल में लगभग सोलह गावों की वर्षों पुरानी डबराड-रज़बौ पेयजल योजना तंत्र की हीलाहवाली से त्रस्त होकर दमतोड़ रही जैसे आखिरी सांस ले रही है।वर्ष 1985में बनी लगभग बीस किलोमीटर लंबी योजना को बीच में छिटपुट ‘ टल्ले’ लगाकर दमभोरने के लिए उत्साहित जरूर किया मगर विगत चार पांच माह से डबराड गांव के लिए संपर्क मार्ग निर्माण से यह योजना ध्वस्त हो गई है।शादी ब्याह ,पार्टी शुभावसरों पर एक से दो किलोमीटर दूर स्थित सूख रहे स्त्रोत सहारा दे रहे हैं। गौरतलब है कि बीस किलोमीटर लंबी योजना डबराड,डिंडा,पैंयागड़ी,दरखास्तीखाल,रज़बौ तल्ला,मल्ला,गाडियूं,झुंडाई,अमडंडा,बर ई,धूरा,क्वीराली धूरा,गिठाणा आदि गांवों में लगभग चार हजार ग्रामीण लोगों को पेयजलापूर्ति के लिए बनायी गरी लेकिन निर्माणाधीन सड़क ने रही सही कसर भी तोड़ डाली।ग्राम प्रधान श्रीमती गीता देवी का कहना है कि जहां गांव में बुजुर्ग अधिकतर रह रहे हैं उनके लिए संकट बना हुआ है, नजदीक में जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता है वहीं स्कूलों में एमडी एम पर भी असर पड़ रहा है,क्योंकि इसी योजना से छ: विद्यालय प्रभावित हैं। ग्रामीण भूपाल सिंह गुसाईं ने कहा कि डेढ़ किलोमीटर दूर से खच्चरों में लादकर भाड़े पर मंगाकर प्रयास बुझा पा रहे हैं यही हाल अन्य गांवों का भी है।क ई बार विभाग व जनप्रतिनिधियों के साथ सड़क निर्माण विभाग से संबंधित मामले पर सुनवाई की गुहार लगाई मगर आस टूटती ही नज़र आ रही है।मात्र सर्गा दिदा ही निजात दिलाने में सहायक होंगे या संबंधित विभाग ?? तो राह देख रहे हैं लाभान्वित ग्रामीण ।

– बिनीता ध्यानी,रिखणीखाल

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