हमारी जेलों की सुरक्षा में हर बार सैध लगाने में माहिर

राजस्थान/बाड़मेर – जोधपुर जिले में स्थित फलोदी उप कारागार से जेल कार्मिकों की आंखों में मिर्च डालकर फरार हुए बंदियों की बारे में पुलिसिया जांच पडताल शायद धीमी गति से की जा रही है। बंदियों की तलाश के लिए सम्भाग भर में नाकाबंदी जारी है। लेकिन इस बीच राजस्थान की जेलों में सुरक्षा बंदोबस्त पर एक बार फिर से सवाल खड़ा हो गया है। बारह सालों के दौरान राजस्थान एक दर्जन से ज्यादा बार बड़ी जेल ब्रेक की घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें दो बंदियों से लेकर दो दर्जन बंदी तक एक साथ फरार हो चुके हैं। इसके अलावा पैरोल पर फरार होने वाले बंदियों की लिस्ट अलग है।

प्रदेश में सेंट्रल जेल से लेकर खुला बंदी शिविर तक लगभग 130 से ज्यादा जेले हैं। इनमें बीस हजार से ज्यादा बंदी बंद हैं। पिछले तीन से चार साल के दौरान राज्य में जेल ब्रेक की कोई बडी घटना वैसे तो नहीं हुई लेकिन साल 2009 से लेकर अब तक की बात करें तो प्रदेश में 13 बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें साल 2010 में चित्तौडगढ़ जेल में हुआ ब्रेक सबसे बड़ा था। इसके बाद जून 2011 में डीडवाना जेल से एक साथ छह बंदी फरार हुए। फिर नवंबर 2011 में भीलवाडा की गंगापुर जेल से छह बंदी और अगले ही महीने यानि दिसंबर 2011 में जालोर जेल से एक साथ चौदह बंदी फरार हो गए। उसके बाद अगस्त 2012 में भीम जेल से एक साथ दस बंदी भाग गए। फिर नवम्बर 2012 में छबड़ा जेल से एक साथ छह बंदी जेल प्रशासन की नाक के नीचे से भाग गए। फिर 2013 में सांचोर से 3 2014 में झाडोल से तीन और 2015 मई में करौली से छह बंदी फरार हो गए।

जेल अफसरों ने बताया कि जेल में बंदियों की सुरक्षा बंदोबस्त को साल दर साल पुखता किया जा रहा है। लेकिन सुरक्षा में सेंध लगाने वाले अपराधी ओर जेल कर्मियों द्वारा हर बार सुरक्षा व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी किस तरह से निभाया है।
वाॅच टाॅवरों की संख्या जेलों में लगभग बढ़ाई जा रही है और साथ ही सुरक्षा दीवारों को उंचा करने के साथ ही उन पर वायरिंग भी की जा रही है। साथ ही जेल में आने वाले और जेल से बाहर जाने वाले बंदियों की जांच के लिए मशीनों की भी व्यवस्था की गई है। साल 2021 में जेल से बंदियों को पेशी पर ले जाने के लिए भी बुलेट प्रूफ वाहनों का बंदोबस्त किया जा रहा है।

हांलाकि इस बीच पैरोल पर जाने वाले बंदियों को लेकर जेल प्रशासन आजकल ज्यादा परेशान है। प्रदेश भर की जेलों से करीब दो सौ दस बंदी जो पैरोल पर जाने के बाद वापस जेल में नहीं लौटे हैं उनकी तलाश की जा रही हैं। ऐसे बंदियों के लिए संबधित थानों में मुकदमें दर्ज कर उनकी पडताल की जा रही है।

– राजू चारण, राजस्थान

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