मैनपुरी, उत्तर प्रदेश – शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बना चुकीं सुरूचि यादव का योगदान अनुकरणीय है। शिक्षा में स्नातकोत्तर (M.Ed) डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने प्रवक्ता के रूप में विभिन्न महाविद्यालयों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उनके शिक्षण कार्य से अनेक विद्यार्थियों को लाभ मिला है, जिससे वे अपने भविष्य को संवारने में सक्षम हुए हैं।
सिर्फ शिक्षण कार्य तक सीमित न रहते हुए, सुरूचि यादव ने समाज सेवा में भी विशेष योगदान दिया है। गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके प्रयासों से कई वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर मिला है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनने की राह पर अग्रसर हो सके हैं।
इसके अलावा, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। गोवर्धन के जतीपुरा स्थित गिर्राज जी महाराज मुखारबिंद मंदिर के सौंदर्यीकरण में उन्होंने विशेष भूमिका निभाई है। उनके प्रयासों से इस ऐतिहासिक मंदिर की भव्यता और धार्मिक वातावरण में सुधार हुआ है, जिससे श्रद्धालुओं को एक बेहतर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हो रहा है।
सुरूचि यादव का यह समर्पण न केवल शिक्षा और समाजसेवा तक सीमित है, बल्कि वे धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। उनके कार्य निस्संदेह समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं और सकारात्मक बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम बन रहे हैं।