सीमावर्ती जिलों में शिक्षकों की भारी कमी को लेकर समान ट्रांसफर एवं स्टाफिंग पैटर्न सिस्टम लागू करने की मांग : रविन्द्र सिंह भाटी

राजस्थान/बाड़मेर- भारत पाकिस्तानी सरहदों पर स्थित बाड़मेर सहित राजस्थान में सीमावर्ती जिलों में शिक्षकों की भारी कमी और असमान स्टाफिंग व्यवस्था को लेकर शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखकर एक महत्वपूर्ण मुद्दा सामने रखा। उन्होंने राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में समान रूप से स्टाफिंग पैटर्न सिस्टम लागू करने की मांग की है, ताकि शिक्षा संसाधनों का संतुलित वितरण सुनिश्चित हो सके।

भाटी ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि प्रदेश के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत शिक्षकों के पदों की स्थिति बेहद असमान है। इस असमानता का असर विशेष रूप से सीमावर्ती जिलों पर अधिक दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के प्राथमिक शिक्षा विभाग में औसतन 13.76% पद रिक्त हैं, जबकि सीमावर्ती जिलों में यह आंकड़ा चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है — बाड़मेर में 20.01%, जैसलमेर में 21.13%, बीकानेर में 16.87% और सिरोही में 22.52% पद खाली हैं।

इसी प्रकार माध्यमिक शिक्षा विभाग में भी स्थिति गंभीर है। राज्य स्तर पर शिक्षकों के 26.93% पद रिक्त हैं, जबकि सीमावर्ती जिलों में ये प्रतिशत क्रमशः बाड़मेर में 40.32%, जैसलमेर में 40.56%, बीकानेर में 29.59% और सिरोही में 34.07% तक पहुंच गए हैं।

भाटी ने कहा कि यह स्थिति न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों की शैक्षणिक प्रगति में बाधा डाल रही है बल्कि वहां के विद्यार्थियों के भविष्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। सीमावर्ती इलाकों की भौगोलिक और जनसंख्या संबंधी चुनौतियों के कारण वहां शिक्षकों की भारी कमी बनी रहती है।

उन्होंने आग्रह किया कि आगामी शैक्षणिक सत्र से राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए समान स्टाफिंग पैटर्न सिस्टम लागू किया जाए, ताकि प्रत्येक जिले में शिक्षा संसाधनों का संतुलित वितरण हो सके और सीमावर्ती जिलों के विद्यार्थियों को भी समान अवसर प्राप्त हो सकें।

भाटी ने कहा कि “शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है — और इस अधिकार को समान रूप से लागू करने के लिए शिक्षकों का संतुलित वितरण अनिवार्य है। राज्य को ऐसी नीति अपनानी चाहिए जिससे किसी भी क्षेत्र के विद्यार्थी को शिक्षा के अवसरों से वंचित न होना पड़े।”

– राजस्थान से राजूचारण

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