बाड़मेर/राजस्थान- जो कभी लोगों की नजरों में संदिग्ध थे वही आजकल चहेते सेवादार बन चुके है। हम बाड़मेर के उन मिष्ठान भण्डार वालों की बात कर रहे है जो कभी जिला प्रशासन की नजरों में संदिग्ध बने हुए थे। और सालभर में कई बार नकली मावा मिठाईयां बनाकर बेचने के संदेह में स्वास्थ्य विभाग द्वारा छापे की कार्यवाही को अंजाम दिया जाता रहा है। लेकिन अब वो संदिग्ध वाली बात नही रही। अब यही संदिग्ध दुकानदार जिला प्रशासन के छोटे बड़े अल्पाहार कार्यक्रमों के कर्ता धर्ता मतलब अरेंज करने वाले बन चुके है। मिलावटी जहर बेचने वालों की धरपकड़ के लिए छापे के दौरान चिकित्सा टीम के सामने हाथ जाड़े, मुंह लटकाए नजर आने वाले यही मिष्ठान भण्डार के मालिक शुट बुट टाई चश्मा लगाकर जेंटलमैन बनकर प्रशासनिक आयोजनों में भोजन,अल्पाहार आदि सेवाएं देने के लिए तटस्थ खड़े मिलते है।
आश्चर्य की बात यह हैं कि मिष्ठान भण्डार पर छापे की कार्यवाही करके स्वास्थ्य विभाग जिन्हे दुनिया के सामने संदेह के घेरे में खड़ा कर देता है। उसी मिष्ठान भण्डार को रसद विभाग, जिला प्रशासन के लिए समय-समय पर अल्पाहर मुहैया करवाने वाले वफादार सेवादार के रूप में तैनात कर देता है और जिले के सरकारी अधिकारी कर्मचारी और हमारे मिडिया को उस सेवादार से अल्पाहार की सेवाए दिलवाकर शुद्धता का मानक प्रमाण पत्र देने जैसा आचरण प्रदर्शित करता है।
छापे की कार्यवाही को अक्सर बाजार में आने वाले लोग तमाशबीन बनकर देखते और जहन में रखते हैं कि यहां नकली और मिलावटी माल मिलता होगा। वही आजकल सोशलमीडिया का जमाना है तो फिर मिडिया में भी यही अखबारों में पढ़ने और मोबाइल फोन पर देखने को मिल जाता हैं कि उक्त मिष्ठान भण्डारों पर नकली मिलावटी के संदेह में स्वास्थ्य विभाग द्वारा छापे की कार्यवाही की गई। अब इस तरह से देखा जाए तो एक तरफ छापे की कार्यवाही से मिष्ठान भण्डारों की पेठ पर संदेह का बिच्छू छोड़ दिया जाता हैं। वहीं दुसरी तस्वीर में वही संदेहधारक मिष्ठान भण्डार वाले सरकारी आयोजनो में पूर्ण शुद्धता के प्रमाण पत्र के साथ स्वादिष्ट अल्पाहार परोसते हुए आपको नजर आते है।
इसके परे हास्यास्पद यह भी हैं कि जिलेभर में स्वास्थ्य विभाग ओर जिला प्रशासन द्वारा मिलावटी खाद्य पदार्थों में छापे की कार्यवाही सोशलमीडिया पर गाजे बाजे के साथ की जाती हैं और इस कार्यवाही को सोशल मिडिया में सुर्खिया भी बनाई जाती हैं। किन्तु इसी मिडिया में इस तरह के छापे के बाद छापे के परिणाम में कितनी शुद्धता या अशुद्धता पाई गई, का कोई जिक्र कभी नही किया जाता । तो फिर यह कार्यवाही क्या थी ? हड़बड़ाहट में ? खानापूर्ति करने के लिए ? दिखावा ? या फिर अपना दबदबा कायम रखना ?
बात बस इति सी है कि जिला प्रशासन द्वारा जिन पर संदेह का बिच्छू छोड़ दिया जाता है, उन्ही को महफील में परफ्यूम की तरह महका कर क्यों रखा जाता है।
– राजस्थान से राजूचारण