आजमगढ़ -तमाम हमलों के बावजूद लोकतंत्र खत्म नहीं हो सकता, क्योंकि यह देश मजबूत संस्थाओं के बल पर खड़ा है। वर्तमान मोदी सरकार अवश्य इन संस्थाओं को कमजोर करने का कुत्सित प्रयास कर रही है लेकिन जब-जब इन्हें कमजोर करने का प्रयास किया गया है। यह संस्थायें और मजबूत होकर उभरी हैं। उक्त बातें आज यहां तमसा पत्रकार सभागार में प्रखर स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजवादी आन्दोलन में संघर्षों के प्रतीक लोकबन्धु राजनारायण की 101वीं जयन्ती पर आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए समाजवादी चिन्तक एवं वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त ने कहा कि आपातकाल के समय संघ के लोग माफीनामा लिखकर दे रहे थे और इनके शिखर पुरूष श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सरकार बनाई थी दूसरी तरफ वीर सावरकर अंग्रेजों को माफीनामा देकर आजाद हुए आज उन्हीं के अनुयायी देश भक्ति की सर्टिफिकेट बांटते फिर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज जो भी व्यक्ति लोकतंत्र और देश के बारे में सोचता है वह आरएसएस के जाल में नहीं फंस सकता। श्री गुप्ता ने कहाकि आज अगर राजनारायण जी जिन्दा होते तो राफेल जैसे भ्रष्टाचार पर चुप नहीं बैठते और सड़कों पर तूफान खड़ा कर देते। अपने अध्यक्षीय भाषण में उदयभान तिवारी ने कहाकि आरएसएस की विचारधारा पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। एकात्म मानववाद को पूरी तरह नकारते हुए उन्होंने कहाकि यह कोई विचार ही नहीं है। यह केवल दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के हितों के विरुद्ध काम करते हैं। जयप्रकाश नारायण ने कहाकि राजनारायण जी आरएसएस की कुटिल चाल को सन् 1977 में ही समझ गये थे जिसके चलते इनके खिलाफ लड़ाई छेड़ दी थी। राजनारायण जी ब्राह्मणवाद और साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ आजीवन संघर्ष करते रहे। कार्यक्रम को डा0 प्रज्ञा सिंह, डा0 ज्ञान प्रकाश दूबे, हरिश्चन्द पाण्डेय, जितेन्द्र राय, रामसिंह, जुल्फेकार अहमद, डा0 बद्रीनाथ, अशफाक बावर, डा0 रमेश मौर्य आदि लोगों ने भी सम्बोधित किया। अंत में कार्यक्रम के संयोजक विजय बहादुर राय ने अतिथियों एवं आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़