श्रीमद्भागवत कथा मे छठे दिन श्रीकृष्ण रुकमणि का हुआ विवाह

बरेली/ फतेहगंज पश्चिमी। श्रीमद्भागवत कथा सुनाते हुए स्वामी कृष्णाचार्य महाराज ने कहा कि मनुष्य स्वयं अपना निर्माता है और उसे ही तय करना है क्योंकि उसके कर्म के अनुसार ही फल प्राप्त होता है। भिटौरा रेलवे स्टेशन के पास चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन स्वामी जी ने भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, रुक्मणी से विवाह सहित भावविभोर कर देने वाली विभिन्न प्रसंगों को सुनाया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने विभिन्न प्रकार की लीलाएं की। गोपियों में भगवान के प्रति अनन्य प्रेम है। गोकुल से पहली बार मथुरा जाने के प्रसंग को उन्होंने बड़े ही मार्मिक ढंग से समझाया। कथावाचक श्री आचार्य ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध यूं ही नहीं किया पूरे क्रमबद्ध तरीके से उन्होंने मथुरा में प्रवेश किया। उसके बाद कंस वध का विस्तार से पूरा प्रसंग सुनाया। रुक्मणी से विवाह भगवान श्री कृष्ण का यह बहुत ही भाव विभोर ढंग से श्रोताओं को समझाया। उन्होंने कहा कि कथा भगवान श्री कृष्ण के चरित्र को वर्णन करती है और यह कथा भाव भरी कथा है जो भावना सील है। वही इस कथा का लाभ ले पाते है। कथा सुनकर के उसको आत्मसात करना और उसको अपने व्यवहार में उतारना। उन्होंने सभी श्रोताओं से सोमवार को समापन के दिन 12 बजे आने का आवाहन किया। इससे पूर्व कथा वाचक श्री आचार्य का केसी शर्मा, विनोद पांडे, प्रेमपाल सिंह, रामपाल, भूपराम मौर्य, प्रिंस चौहान आदि ने स्वामी जी का माल्यार्पण कर अभिवादन किया।।

बरेली से कपिल यादव

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