बरेली। जनपद के थाना किला क्षेत्र के कटघर मोहल्ले मे श्री गंगा महारानी मंदिर को 40 वर्षों बाद कब्जा मुक्त कराया गया। मंदिर की इमारत पर अवैध रूप से कब्जा जमाये वाजिद अली और उसके परिवार को पुलिस और प्रशासन ने शुक्रवार को बेदखल कर दिया। इस कार्रवाई के बाद हिंदू संगठनों ने वहां लगे इस्लामिक झंडे को हटाकर भगवा झंडा फहरा दिया। मंदिर परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। मजिस्ट्रेट की निगरानी में स्थिति को नियंत्रित रखा गया है। श्री गंगा महारानी मंदिर के भवन पर वाजिद अली पिछले 40 साल से कब्जा कर रह रहा था। उसने खुद को सहकारी समिति का चैकीदार बताया लेकिन सहकारिता विभाग और राजस्व रिकर्ड में इसका कोई प्रमाण नही मिला। मंदिर की जमीन राजस्व रिकर्ड में श्री गंगा महारानी सर्वराकार जगन्नाथ चेला नरायन दास के नाम दर्ज है। साधन सहकारी समिति के सचिव ने वाजिद अली को कई बार नोटिस जारी किए लेकिन वह हटने को तैयार नही हुआ। डीएम के आदेश पर सहकारिता विभाग और प्रशासन ने जांच शुरू की जिसमें वाजिद के चैकीदार होने का दावा खारिज कर दिया गया। राकेश सिंह जो मंदिर के पूर्व प्रबंधक लक्ष्मण सिंह के वंशज है ने बताया कि यह मंदिर करीब 150 साल पुराना है। 1905 में मंदिर को गंगा महारानी ट्रस्ट के नाम पर पंजीत किया गया था। मंदिर में गंगा महारानी की अष्टधातु की मूर्ति, शिवलिंग और शिव परिवार की मूर्तियां स्थापित थीं। 1956 में सहकारी समिति की जरूरत पर मंदिर के दो कमरे किराए पर दिए गए, लेकिन शेष परिसर में पूजा-पाठ जारी रहा। 1975-76 में वाजिद अली ने खुद को सहकारी समिति का चैकीदार बताकर भवन पर कब्जा कर लिया। 1980 में सहकारी समिति ने अपना कार्यालय शिफ्ट कर लिया लेकिन वाजिद ने भवन खाली नहीं किया। आरोप है कि उसने मंदिर की मूर्तियां हटाकर 250 वर्ग मीटर के पूरे परिसर पर कब्जा कर लिया और मंदिर के कुओं को भी पाट दिया। गुरुवार को डीएम रविंद्र कुमार के आदेश पर एसडीएम सदर गोविंद मौर्य और सहकारिता उप निबंधक ब्रजेश परिहार ने मंदिर परिसर की जांच की। वाजिद को सात दिन में भवन खाली करने का नोटिस दिया गया। शुक्रवार को पुलिस बल और प्रशासनिक टीम ने मौके पर पहुंचकर कब्जा हटवाने की कार्रवाई शुरू की। इस दौरान भवन से सामान हटवाने और कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराई गई। कब्जा मुक्त कराने के बाद हिंदू संगठनों ने परिसर में हनुमानजी की प्रतिमा वाला भगवा झंडा फहरा दिया। उनका कहना है कि शनिवार को मंदिर का शुद्धिकरण कर पूजा-अर्चना शुरू कराई जाएगी। वाजिद अली ने कहा कि उसके पिता सहकारी समिति में चौकीदार थे। वह 40 वर्षों से परिवार सहित यहां रह रहा था। उसने सहकारिता विभाग के आदेश को गलत बताया और भवन खाली करने के लिए आठ महीने का समय मांगा। सहकारिता विभाग के सचिव विकास कुमार ने बताया कि वाजिद अली का चौकीदार होने का कोई प्रमाण नही मिला। सहकारी समिति 2020 में अपना गोदाम यहां से हटा चुकी है। अब मंदिर के स्वामित्व को लेकर स्थिति स्पष्ट की जा रही है। एसडीएम सदर गोविंद मौर्य ने बताया कि परिसर से अवैध कब्जा हटा दिया गया है। स्वामित्व के दस्तावेजों की जांच जारी है। शीघ्र ही मामले मे अंतिम निर्णय लिया जाएगा।।
बरेली से कपिल यादव