बरेली। बेसिक शिक्षा अधिकारी की लापरवाही के कारण स्कूलों में विकास कार्य नहीं हो पाए। इसकी लापरवाही के कारण शासन की ओर से मिले दो करोड रुपए में से बचे रुपये शासन को वापस करने होंगे। मार्च में शासन की ओर से पिछले साल सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत विद्यालय प्रबंध समिति और ग्राम शिक्षा समिति के खाते में ग्रांट भेजी गई थी लेकिन विभाग ने इस ग्रांट का प्रयोग ही नहीं किया।ऐसे में अब वह करोड़ों रुपए की ग्रांट वापस करने की नौबत आ गई है। इस ग्रांट को जून-जुलाई तक खर्च करना था लेकिन विभाग के अधिकारियों ने इसे खर्च नहीं किया। अब शासन ने विभाग को पत्र जारी कर पूछा है कि मार्च में जारी हुई ग्रांट किस किस स्कूल में विकास कार्य हुए हैं और कितने खर्च हुए हैं और कितने रुपए बचे हैं इन सब का पूरा ब्यौरा मांगा गया है। शासन का पत्र आते ही बेसिक शिक्षा विभाग टेंशन में आ गया है क्योंकि करोड़ों रुपए की ग्रांट को अब वापस करने की नौबत आ गई है।
14 अगस्त तक हर हाल में देना है रिकॉर्ड
बता दें कि शासन की ओर से पिछले साल ग्रांट भेजी गई थी। 31 मार्च 2019 तक अप्रयुक्त व अवशेष धनराशि को जिला परियोजना कार्यालय के नवीन बचत खाते में जमा करना था। जिससे की जानकारी सके कि कितनी धनराशि खर्च हो चुकी और कितनी बची हुई है। इसके लिए शासन ने 4 अगस्त का समय दिया था लेकिन विभाग की लापरवाही के चलते हुए यह समय भी निकल गया। ऐसे में शासन ने पूरे हिसाब किताब के साथ दो करोड़ रुपए की बची हुई ग्रांट को वापस मांगा है। विभाग को यह रिकॉर्ड अब 14 अगस्त तक हर हाल में देना है।
अधिकारी चाहते तो बदल जाते कई स्कूलों की सूरत
शहर और देहात क्षेत्र में कई स्कूल ऐसे हैं जो पूरी तरह जर्जर हालात में हैं। बिभाग के अधिकारी चाहते तो जर्जर स्कूलों की हालत इन दो करोड़ रुपयों से सुधार सकते थे लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। अब शासन ने बची हुई रकम को वापस मांग लिया है। जबकि हर साल बेसिक शिक्षा विभाग अपने जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए शासन की ओर से ग्रांट का इंतजार करता है। हर साल स्कूलों की मरम्मत के नाम पर मोटी मोटी फाइल बनाकर शासन को भेजी जाती है।।
बरेली से कपिल यादव