व्यग्य : पनघट पे नंदलाल छोड़ गयो रे …. प्रभात गोस्वामी

बाड़मेर/राजस्थान- दो दिन के आकस्मिक दौरे की बात कहकर जब चतुर्भुज मिस्त्री, चार दिनों तक गांव से घर नहीं लौटा तो उसकी बीवी को चिंता हुई . आजकल के हालात में हम सिर्फ चिंता ही प्रकट कर सकते हैं . बीवी ने एक कड़ा संदेश मोबाइल पर मांढ़ कर पतिदेव को भेज दिया . लेकिन उसके परिणामों के बारे में सोचकर उसे फिर से कोमल करते हुए लिखा – पिंटू के पापा , आशा है सकुशल होवोगे . चार दिन की चांदनी का मज़ा ले लिया हो तो घर लौट आओ . बच्चे तुम्हारी राह देख रहे हैं . उनको पता चला कि उनके पापा गलत राह के राही बन गए हैं तो आगे से राह भी नहीं देखेंगे . हमारा क्या हम तो आपकी राह तकते-तकते अब ताकने के आदि हो गए हैं.

मोबाइल मैसेज का टुन्न बजते ही चतुर्भुज हमारे देश की सीमा पर खड़े फौजी की तरह से अलर्ट हो गया . ये उसका दुर्भाग्य ही कहो कि आजतक बीवी के आलावा किसी और ने संदेश ही नहीं किया . उसने संदेश का ज़वाब लिखा – पिंटू की मम्मी , मैं बिलकुल भी सकुशल नहीं हूँ . गर्मी का मौसम जलदाय विभाग में हमारे जैसे कार्मिकों के लिए जानी दुश्मन से भी बुरा होता है . यहाँ गांव में सामुदायिक टूटियों से पानी की जगह हवा निकल रही है . इंजन की सीटी जैसे मन विचलित होकर डोल रहा है . घरों में पानी नहीं पहुँचने से जगह जगह पर हाहाकार मचा हुआ है . पनघट पर रोज़ ही खाली मटके फोड़े जा रहे हैं . इससे कुम्भाराम तो बहुत खुश हो रहा है . उसके मटकों का निर्माण से लेकर मटके बेचने का कारोबार चार गुना बढ़ गया है . परन्तु टूटी हुई मीठें पानी पाइपलाइन की मरम्मत करने पर मेरे पसीने छूट रहे हैं .
उसने आगे लिखा – ऐसे विकट हालातों का सामना करने के लिए जेईएन नंदलाल और ए ई एन मुझे दानजी की होदी की पनघट पे छोड़कर चला गया . अपनी चांदनी से मिलने यह कहकर गया था कि शीघ्र ही लौट आएगा ! यहाँ क्या-क्या घट रहा है ? बता नहीं सकता . हमने इंचार्ज बनने के मुगालते में जलापूर्ति करने का चार्ज ले लिया . अब सर मुंडाते ही सिर्फ मटके पड़ रहे हैं ! मुझे घर की राह पकड़ने के लिए गांव से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है . और तुम गलत राह पर चलने का ताना मारकर घाव में धोबा भर भरकर रेती डाल रही हो ! यहाँ सब कह रहे हैं कि नहरी मीठें पानी की जलापूर्ति समय पर कर दो, लेकिन बिजली पानी की बैरण जो ठहरी,

वक़्त चले हमारी तो विधायक महोदय इसकी व्यवस्था करो . अब मैं क्या करूं ? भीषण गर्मी का मौसम हमारे जैसे तुच्छ कार्मिकों के लिए कुटने और बड़े अधिकारियों के लिए सिर्फ मलाई कूटने का होता है !

उसने अपनी पीड़ा को आगे बयां करते हुए लिखा- जब सावन का महीना था और पवन के सोर से मौसम सुहाना था . बादल फट पड़ने को आमादा रहते थे . जब सरकारी मीठा नहरी पानी नलों के आलावा नदी-नालों से अमृत की तेज़ धारा बह रही थी. तब तो नंदलाल यहाँ इन्द्रदेव का रूप धरकर; अमृत महोत्सव मना रहा था . चुपके-चुपके और मज़ाक-मज़ाक में कितनी ही गोरी कलईयां मरोड़ रहा था . बेचारियों को दर्द होता होगा . इसका अंदाज़ा मुझे कल लगा जब सरपंच का बेटा मेरी मोटी कलाईयां मरोड़कर गया.

चतुर्भुज ने आगे लिखा – गर्मी का मौसम जलदाय विभाग के लिए कुम्भ महोत्सव जैसा होता है . पर मेरे लिए अभी अधिकारी कुम्भकरण जैसे बने हुए हैं . मेरी चीख उनकी निद्रा भंग नहीं कर पा रही है. ये दीगर बात है कि नींद में रहकर भी वहां साल भर सुस्त पड़ी सरकारी योजनाओं की फाइलें दौड़ा रहे हैं . जब सभी अधिकारी कुम्भ स्नान कर लेंगे तभी पानी के टैंकरों के फेरे यहाँ बढ़ेंगे . और उनके पग फेरे भी बढ़ेंगे . इसका सारा श्रेय लेने जेईएन नंदलाल फिर पनघट की ओर लौट आएगा . अभी तो हम यहाँ प्याज और सूखी बाजरे की रोटी भी खा रहे और लोगों के फटे हुए जूते भी .
जब भीषण गर्मी फागुन में ही आ टपकी तो तुम इंद्रदेव की पूजा करो कि वह अपनी कृपा भी जल्दी ही बरसाए . तब ही हम इस कठोर ड्यूटी से मुक्त हो पाएंगे . सर्दी-गर्मी के बीच हुए इस गठबंधन को तोड़ने के लिए भी ईश्वर से प्रार्थना करो. तुम्हारा जन्म जन्मातर का चरणदास – चतुर्भुज मिस्त्री .

– राजस्थान से राजूचारण

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