कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार कांग्रेस की रणनीति लोकसभा की सभी 543 सीटों की बजाय तीन सौ सीटों पर फोकस करने की है। देश के लगभग आधे राज्यों में कांग्रेस सहयोगी पार्टियों के साथ मिल कर लड़ेगी। कांग्रेस के वार रूम से जुड़े एक जानकार नेता ने बताया है कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों पर कांग्रेस कोई खास ध्यान नहीं दे रही है। वहां कांग्रेस सीटों के लिए सहयोगियों से ज्यादा खींचतान नहीं करेगी और चुनाव लड़ने में भी ज्यादा ताकत नहीं लगाएगी।
इसी तरह दक्षिण और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में भी कांग्रेस ने अपने को पीछे रखा है। वहां भी भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस तालमेल करेगी। पश्चिम बंगाल में उसे ममता बनर्जी या सीपीएम के साथ मिल कर लड़ना है। कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक पार्टी ओड़िशा पर भी ज्यादा फोकस नहीं कर रही है और उसकी कोशिश होगी कि वहां बीजद और भाजपा के साथ तिकोनी लड़ाई में वोट नहीं बंटे। वह परोक्ष रूप से बीजद का समर्थन करेगी। इसी तरह तमिलनाडु में कांग्रेस को डीएमके मिल कर लड़ना है। तभी इनकी बजाय कांग्रेस उन राज्यों में ध्यान दे रही है, जहां उसको सीधे भाजपा से लड़ना है। इस लिहाज से उसकी प्राथमिकता वाले राज्यों में कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र हैं। इन छह राज्यों में लोकसभा की कुल 163 सीटें हैं। इनमें से सिर्फ महाराष्ट्र में कांग्रेस का एनसीपी के साथ गठबंधन होगा, जहां कांग्रेस ही ज्यादा सीटों पर लड़ती है। इन छह राज्यों में कांग्रेस 140 सीटों पर लड़ेगी। इन छह राज्यों में कुल मिला कर कांग्रेस की दस के करीब सीटें हैं। सो, इस बार वह इन राज्यों में बहुत अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।
इसके अलावा कांग्रेस का फोकस राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत के राज्यों पर है। वह दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर पर ध्यान दे रही है। इन राज्यों में भी कांग्रेस का अच्छा खासा आधार रहा है और अब भी पार्टी लड़ने की स्थिति में है। इन छह राज्यों में लोकसभा की 45 सीटें हैं। हो सकता है कि कांग्रेस कुछ सीटों पर जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के साथ तालमेल करे फिर वह कम से कम 40 सीटों पर अकेले लड़ेगी। इसके अलावा कांग्रेस पूर्वोत्तर की 25 सीटों पर ध्यान दे रही है और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और झारखंड की 76 सीटों पर ध्यान दे रही है।
इनमें से कांग्रेस ने 50 सीटों पर ताकत लगाने का फैसला किया है। बाकी सीटों पर या तो तालमेल रहेगा या कांग्रेस प्रतीकात्मक रूप से लड़ेगी। इस तरह वह 260 सीटों पर पूरी ताकत लगाएगी। इनके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में कांग्रेस को उम्मीद है कि सहयोगी पार्टियां उसके लिए कम से कम 40 सीटें छोड़ सकती हैं। सो, कुल मिला कर तीन सौ सीटों पर पूरी ताकत से लड़ने की कांग्रेस की तैयारी है।
-देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा