बरेली। कोरोना वायरस के डर से लोग घरों में लॉक हो गए हैं। लॉक डाउन ने लोगों की दिनचर्या ही बदल दी है। इससे जहां अधिकांश लोग परेशान हैं। वहीं कई लोग दिनचर्या में आए परिवर्तन से खुश हैं। लॉक डाउन ने लोगों को यह अच्छा अवसर दिया हैं जो भागदौड़ की जिंदगी में मुश्किल से मिल रहा था। लॉक डाउन के कारण लोगों को इस व्यस्त जिंदगी में परिवार के साथ रहने का बेहतर अवसर मिल रहा है। पुरुषों को भी घर के काम में हाथ बंटाने का मौका मिल रहा है। सगे संबंधियों व मित्रों से मोबाइल पर जी भर के बात करने का अवसर भी मिल रहा है। दूर-दराज में पढ़ रहे बच्चों को भी बिना छुट्टी के छुट्टी का मजा मिल रहा है। इस अवधि में राजकीय इंटर कालेज बरेली के उप प्रधानाचार्य डॉक्टर अवनीश यादव ने इसके लिए एक रचनात्मक दिनचर्या निर्धारित की है। जिसका पालन वह स्वयं व परिवार के अन्य सदस्य तथा सोशल मीडिया पर जुड़े उनके तमाम मित्र व छात्र कर रहे है। इस दिनचर्या की खासियत यह है कि इसमें रोजमर्रा के कार्यों के अलावा योग, ड्राइंग, पेंटिंग, रचनात्मक लेखन, स्व अध्ययन, किस्से कहानी, क्विज,अनुभव शेयरिंग, एक्टिंग व गीत संगीत जैसे क्रियाकलाप शामिल है। इस बारे में डॉक्टर अवनीश यादव बताते है- लॉकडाउन की घोषणा होने के एक दो दिन बाद ही मुझे अनुभव हुआ की कोरोना के बारे में पढ़ सुनकर तथा टीवी देख देखकर बच्चों में जहां एक और भय और आशंका ने जन्म ले रहे है। वहीं लगातार घर पर रहने से एक नीरसता भी बढ़ती जा रही है । ऐसे में मैंने स्वयं तथा अपने परिवार को रचनात्मक क्रियाकलापों में संलग्न करने को सुबह उठने से रात्रि विश्राम के दौरान की दिनचर्या निर्धारित की। जिसके बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने आए है। अब बच्चों को पूरा दिन कब बीत जाता है पता भी नहीं चलता और वो पूरा समय रचनात्मक ऊर्जा से भरे रहते हैं। डॉक्टर अवनीश यादव ने दिनचर्या कुछ इस प्रकार निर्धारित की है जिसे घर के सभी सदस्यों की सक्रिय सहभागिता रहती है।
दिनचर्या इस प्रकार है
प्रातः 6 बजे- सोकर उठना, 6 से 7-साफ सफाई व नित्य क्रियाएँ, 7 से 8.30-योग,व्यायाम, 8.30-9.30- स्नान,ध्यान ,जलपान, 9.30-10.00- अखबार, टीवी, 10-12-पढ़ना लिखना,12 से 01 के बीच मन के काम, एक से ढाई के बीच भोजन पकाना खाना (सामूहिक सहयोग),2.30-3.30- विश्राम अथवा मन के काम, 3.30-4.00 – चाय, नाश्ता, साफ सफाई , 4-6- रचनात्मक क्रियाकलाप, 6-7- शारीरिक खेल, 7-8.30- क्विज, अंत्याक्षरी, अनुभवों का आदान प्रदान , प्रश्नोत्तरी, किस्से-कहानी, 8.30- 9.30- रात्रि भोजन व मनोरंजन, 9.30-11.00- पढ़ना लिखना, 11 बजे- सोने के साथ ही दिनचर्या समाप्त हो जाती है। इस दौरान सभी सदस्य सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ धोना जैसी हिदायतों का स्वयं भी कड़ाई से पालन करते हैं और अन्यों को भी ऐसा करने का संदेश देते है। डा० अवनीश यादव द्वारा निर्धारित इस दिनचर्या को सोशल मीडिया से जुड़े उनके तमाम मित्र और छात्र भी अपना रहे हैं। आकाशवाणी बरेली द्वारा डॉक्टर अवनीश यादव की इस दिनचर्या का लाइव प्रसारण भी किया गया है।।
– बरेली से कपिल यादव