बाड़मेर/राजस्थान- पेपर लीक मामले को लेकर अशोक गहलोत सरकार ने अब धडा़धड़ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। जांच एजेंसी एसओजी की ओर से पेपर लीक मामले का पर्दाफाश करने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने देर रात आपातकाल हाई लेवल बैठक करके माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष जारोली ओर सचिव सैगवा को पद से कर्तव्य में लापरवाही बरतने के कारण बर्खास्त कर दिया है। साथ ही पेपर लीक प्रकरण में और लिप्त कर्मचारियों को भी सस्पेंड कर दिया है और अगर जांच में यह कर्मचारी दोषी पाए जाते हैं तो इन्हें सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा।
राज्य में भारी उथल पुथल मचती देखकर देर रात हाई लेवल कमेटी की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित कमेटी से कराने का फैसला लिया है। यह कमेटी भविष्य में होने वाली परीक्षाओ में गड़बड़ियां रोकने की दिशा में भी काम करेगा बशर्ते पुलिस का खुफिया तंत्र सुस्त नहीं होगा l
एस ओ जी की साख भी दाव पर लगी हुई है कि नकल गिरोहों की मिलीभगत में शामिल सरकारी अधिकारियों ओर कर्मचारियों की कड़ी से कड़ी मिलाकर रीट पेपर लीक के आरोप में गिरफ्तार रामकृपाल मीणा डिप्टी को-ऑर्डिनेटर बनने से पहले ही आश्वस्त था कि उसके पास ही पेपर आएगा। इसलिए वह पहले ही उदाराम विश्नोई और उसकी तरह ही पर्चा लीक के लिए कुख्यात एक अन्य आरोपी के सम्पर्क में थे। उसने पेपर उदालाल को दिया, जिसने मुंह मांगी कीमत देनी की हां भरी। अब सवाल यह है कि रामकृपाल की पेपर केन्द्र (शिक्षा संकुल) में तैनाती कैसे हुई तथा जिस पैकेट को काट कर उसने पेपर निकाला वह किस केन्द्र पर पंहुचा था। इस केन्द्र के संचालक भी गिरोह में शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने कटा हुआ पैकेट व एक पेपर कम मिलने पर जिला प्रशासन के अधिकारियों को कहीं पर भी शिकायत नहीं दी।
एसओजी ने पेपर लीक करने वाले रामकृपाल मीणा व उसके खरीददार उदाराम को दो दिन पहले गिरफ्तार किया था। जाचं पड़ताल में सामने आया कि रीट की परीक्षा तय होने के साथ ही उदालाल पेपर हथियाने के प्रयास में जुट गया था। उसकी तरह ही प्रदेश स्तर पर नकल व पेपर लीक में सक्रिय एक और गिरोह का सरगना सक्रिय था। उस पर ग्राम विकास अधिकारी व पुलिस उपनिरीक्षक परीक्षा में भी गड़बड़ी में नाम सामने आ रहा है। हालांकि मोलभाव में रामकृपाल मीणा ने उदाराम का ऑफर स्वीकार किया होगा।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने पेपर की निगरानी के लिए शिक्षा संकुल में जहां गैर सरकारी व्यक्ति नियुक्त किए थे। इसके अलावा अन्य सभी जिलों में एडीएम स्तर के अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी गई थी। जयपुर में मुख्य जिम्मेदारी गैर सरकारी व्यक्ति प्रदीप पाराशर को को-ऑर्डिनेटर के रूप में कैसे दी गईं थी।
सामने आया है कि वर्ष 2011 और 2012 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई आरटेट परीक्षा में जयपुर का को-ऑर्डिनेटर प्रदीप पाराशर को ही बनाया गया था। उस समय बोर्ड चेयरमैन मंत्री सुभाष गर्ग थे। पाराशर मंत्री सुभाष गर्ग और बोर्ड चेयरमैन डीपी जारौली के बहुत ज्यादा करीबी हैं। इस सम्बंध में प्रदीप पाराशर का कहना है कि एसओजी की ढाई दिन पूछताछ में अभी तक मेरी लिप्तता नहीं मिली है। एसओजी बुलाएगी तो फिर हाज़िर हो जाएगा l
देर रात हुई हाई लेवल कमेटी की बैठक में शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला, शिक्षा विभाग के एसीएस पीके गोयल, गृह विभाग के एसीएस अभय कुमार, डीजीपी एम एल लाठर और एसओजी के चीफ अशोक राठौड़ भी मौजूद रहे।
– राजस्थान से राजूचारण