बरेली। करवाचौथ का पर्व मूल रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। उत्तर भारत में सुहागिन महिलाओं का यह पर्व पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में खुशहाली का प्रतीक है। पर्व में पत्तियां निर्जला व्रत पति के लिए रखती हैं और पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार उसका पारायण करती हैं। करवा चौथ को लेकर देश भर में अलग-अलग मान्यताएं हैं। बीते कुछ दशकों में संस्कृति के प्रचार-प्रसार और मीडिया माध्यमों के जरिए करवा चौथ सुहागिन महिलाओं और दांपत्य में प्रेम व खुशियों के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा है। कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाने वाला सुहाग का पर्व करवाचौथ इस बार रविवार को मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रहकर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। इसके बाद व्रत पूर्ण होता है। बरेली में करवाचौथ को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह है। सुहागिनों ने शनिवार को करवाचौथ के लिए जमकर खरीदारी की। साड़ी, चूड़ियां, करवे व पूजन सामग्री खरीदी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार रविवार को पूरे दिन कृतिका नक्षत्र रहेगा। चंद्रोदय के समय रोहिणी नक्षत्र आ जाएगा। रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं। इस कारण इस त्योहार का महत्व कई गुना बढ़ गया है। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय रात मे 08 बजकर 07 मिनट पर होगा। करवा चौथ पर भद्रा का दोष नही लगेगा। रोहिणी नक्षत्र को दांपत्य जीवन में मिठास और सौंदर्य में निखार का कारक माना गया है। इस दिन सूर्य और बुध दोनों ग्रह शुक्र की राशि तुला मे है।
करवा चौथ पर व्रत के नियम
यह व्रत सूर्योदय से पहले से शुरू कर चंद्रोदय तक रखना चाहिए। चंद्रोदय से एक घंटा पहले शिव परिवार (गणेश, शिव, पार्वती, नंदी, और कार्तिकेय) की पूजा की जाती है। पूजन के समय पूरब की तरफ मुंह करके बैठना चाहिए। चतुर्थी तिथि इस दिन सुबह 6:45 बजे लग जाएगी। बरेली में चंद्रोदय शाम 7:45 बजे होगा।।
बरेली से कपिल यादव