बरेली। बरेली-सितारगंज फोरलेन और रिंग रोड परियोजना में भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में हुए घोटाले के मामले में दोषी अभियंताओं के खिलाफ जांच पूरी हो गई है। पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर अजय कुमार को अभियंताओं ने अपनी सफाई लिखित रूप से दी है। तीनों अभियंताओं के बयान दर्ज किए गए। चीफ इंजीनियर का कहना जांच रिपोर्ट इसी सप्ताह मुख्यालय भेज दी गई है। वहीं से कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा। बता दें, फोरलेन निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में किए गए घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत के बाद जांच के निर्देश दिए गए थे। तत्कालीन डीएम रवींद्र कुमार ने नवंबर 2024 में मामले की जांच सीडीओ की अध्यक्षता वाली समिति से कराई थी। इसमें 21.52 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। जांच में पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई थी। इसके बाद शासन ने पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड में तैनात सहायक अभियंता स्नेहलता श्रीवास्तव, अवर अभियंता सुरेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया था। वहीं सेवानिवृत्त एक्सईएन नारायण सिंह के खिलाफ भी जांच के आदेश चीफ इंजीनियर को दिए थे। निलंबित सहायक अभियंता लखनऊ मुख्यालय से संबद्ध थीं। वहीं, अवर अभियंता सुरेंद्र कुमार चीफ इंजीनियर कार्यालय अटैच किए गए थे, जबकि एक्सईएन नारायण सिंह घोटाला उजागर होने से पहले ही सेवानिवृत्त हो गए थे। सहायक अभियंता और अवर अभियंता बहाल किए जा चुके हैं। प्रथम दृष्टया जांच में अभियंता दोषी मिले या नहीं, चीफ इंजीनियर ने ऐसी किसी जानकारी देने से इन्कार कर दिया। कहा कि मुख्यालय से जांच मिली थी। इसलिए जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन स्तर से कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।।
बरेली से कपिल यादव