बिहार: (हाजीपुर)वैशाली जिले के महुआ प्रखंड अध्यक्ष लोजपा के मनीष कुमार यादव ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है भारतीय रेल प्रशासन के सामने, इन्हों ने कहा है कि रेलवे की परीक्षा 9 अगस्त से शुरू हो रही है। अस्सिटेंट लोको पायलट और टेक्निशियन के 26,502 पदों के लिए परीक्षा हो रही है । जिसमें 47 लाख से अधिक छात्र भाग लेंगे। रेल मंत्रालय की तरफ से दावा किया गया है , कि रेलवे दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन परीक्षा कराने जा रहा है क्योंकि इस परीक्षा में करीब एक लाख पदों के लिए दो करोड़ से अधिक छात्र हिस्सा लेंगे। यही हेडलाइन भी अख़बारों में छपता है ताकि फुल प्रोपेगैंडा हो सके।
अब जब छात्रों ने 9 अगस्त की परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड डाउनलोड किए हैं, तो उन्हें पता चल रहा है कि किसी का सेंटर भुवनेश्वर है , तो किसी का मुम्बई, किसी का बंगलुरू है, तो किसी का सेंटर चेन्नई है। वैशाली का छात्र भुवनेश्वर जा रहा है ,तो पटना का छात्र जबलपुर, कटिहार का मोहाली तो आरा का हैदराबाद और बक्सर का चेन्नई। राजस्थान और उत्तर प्रदेश के छात्रों के सामने भी यही चुनौती है। बिहार के छात्रों ने ज़्यादा मेसेज किए हैं इसलिए उनके उदाहरण ज़्यादा हैं मगर बाकी राज्यों के छात्र भी काफी परेशान हैं। कइयों ने तो रेल मंत्री को ट्विट करते हुए रो ही दिया है कि उनका इम्तेहान छूट जाएगा। कृप्या ऐसा न करें। वे इतना पैसा ख़र्च कर परीक्षा देने नहीं जा सकते हैं। टिकट के लिए भी छात्रों को समय कम मिला है। किसी ट्रेन में वेटिंग है तो किसी में टिकट ही नहीं है। ज़्यादातर छात्रों को जनरल बोगी से जाना पड़ेगा, वे खड़े – खड़े या ट्रेन से लटककर वैशाली से भुवनेश्वर की यात्रा करेंगे तो आप आंदाजा लगा सकते हैं कि परीक्षा देने वक्त उनकी क्या स्थिति होगी। किसी का टिकट पर खर्चा 1500 आ रहा है तो किसी का 3000, परीक्षा के लिए तीन चार दिन पहले भी निकलना होगा क्योंकि ट्रेन समय पर पहुंचती नहीं है। होटल और खाने पीने का खर्चा अलग।क्या ये इन छात्रों के साथ ज्यादती नहीं है।बचतों को लग सकता है कि तीन हज़ार या पांच हजार का खर्च कोई बड़ी बात नहीं है। रेलवे के परीक्षा देने जा रहे ज्यातर गरीब और निम्न मध्यवर्गीय परिवारों से आते है। किस के मां बाप किसान है तो किसी के मजदूर, किसी के ठेला चलाते होंगें तो अनाथ भी होगा। इनके लिए दो-तीन हजार बड़ी बात है।ऊपर से टिकट मिलने में भी परेशानी हो रही है।कई छात्रों ने रेल मंत्री को ट्वीट भी किया है। छात्रों के दूसरे इम्तिहान भी आस- पास भी होते हैं। उन पर भी असर पड़ने वाला है।अब आते हैं एज मूल सवाल पर , जब परीक्षा ऑनलाइन है तो इसके लिए वैशाली से भुवनेश्वर भेजने का क्या मतलब है, ये कौन सी आनलाईन परीक्षा है जिसके लिए छात्रों को 1500 से 2000 किलो मीटर की यात्रा तय करनी पड़ेगी।क्या यही ऑनलाइन का मतलब है। जब कम्प्यूटर पर ही बैठ कर परीक्षा देना है तो आस-पास के केन्द्रों में यह व्यवस्था क्यों नहीं हो सकती है, छात्रों ने इस परीक्षा के लिए चार साल पहले से तैयारी की है।उनके साथ यह नाइंसाफी नहीं होनी चाहिए। रेलमंत्री को सबको फ्री टिकट देना चाहिए ताकि एक भी गरीब छात्र की परीक्षा न छूटे या फिर परीक्षा केंद्रों को लेकर बदलाव करने पर विचार करना चाहिए।उसका समय नहीं है ।उस बहाने परीक्षा और टल जाएगी।बेहतर यही होगा की रेलमंत्री फ्री टिकट का एलान कर दे।ये लेख कई छात्रों से विचार विमर्श करने के बाद लिखा है।कहीं न कहीं रेलमंत्री जी के इस फैसले से छात्रों में असंतोष है। अगर समय से इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो छात्रों में आक्रोश बढ़ेगा । और बहुत बड़ा आंदोलन हो सकता है।
-नसीम रब्बानी पटना बिहार