बरेली। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय और इससे जुड़े एडेड कॉलेजों मे डिजीटल लाइब्रेरी अभी भी सपना ही बनकर रह गई है। करीब तीन वर्ष पहले कॉलेजों मे इस योजना की शुरूआत हुई थी। तब सिर्फ कार्य योजना बनाने पर वर्क करने में ही यूनिवर्सिटी को पूरा एक साल से ज्यादा लग गया। वहीं दूसरी ओर 2020 और इस साल कोरोना महामारी के नाम पर इस प्रोजेक्ट पर कार्य ही नहीं किया गया। 2021-22 शैक्षित सत्र भी शुरू होने को है। लेकिन इस साल भी ऐसा ही लग रहा है कि यूनिवर्सिटी की डिजिटल लाइब्रेरी की योजना फाइलों में ही बंद होकर रह जाएगी। इस कार्य योजना में तीन साल पहले बरेली और मुरादाबाद मडंल के 29 कॉलेजों में इस प्रोजेक्ट की शुरूआत हुई थी। जिसमें में से बरेली में 12 और मुरादाबाद के 17 कॉलेज शामिल थे। डिजिटल लाइब्रेरी के बनने से छात्रों को अपनी विषय की किताबे खरीदने के लिए भटकना नही पड़ेगा। यहां ये भी बता दें कि हर साल छात्र-छात्राओं से लाइब्रेरी के लिए शुल्क भी लिया जाता है। अधिकांश कॉलेजों को डिजिटल लाइब्रेरी के लिए शासन की ओर से बजट भी समय पर पहुंच चुका है लेकिन अधिकांश ने कोरोना के नाम पर प्रोजेक्ट पूरा ही नही किया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानि की यूजीसी ने डिजिटल लाइब्रेरी प्रोजेक्ट की शुरूआत इसलिए की थी जिससे की सभी विषयों की किताबों को ऑनलाइन अपलोड किया जाए। इससे छात्रों को ये फायदा होता कि अपने विषय की किताबे ढ़ूढने के लिए इनको भटकना नहीं पड़ता। एक ही क्लिक पर इनकों किसी भी विषय की किताबे आसानी से मिल जाती, सुविधा के अनुसार छात्र इन किताबों को पीडीएफ के रुप में अपनी पेनड्राइव में भी कॉपी कर सकते है। क्षेत्र के महाविद्यालयों में मौजूदा स्थिति भी बेहद खराब है। कॉलेजों में अभी भी छात्र-छात्राओं को अपनी विषयों की किताबों के लिए कई कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है और किताब मिलने के बाद इनकों एक निश्चित समय पर वापस भी करना होता है। सबसे ज्यादा परेशानी छात्र-छात्राओं को परीक्षा के दिनों में होती है। जब परीक्षा के समय इन किताबों को वापस करना होता है। जबकि परीक्षा के दौरान ही इन किताबों की सबसे ज्यादा आवश्यकता होता है। कई बार तो छात्रों को संबंधित विषय में प्रयोग होने वाले लेखक की किताब मिल ही नही पाती है। ऐसे में किताबों के डिजिटल होने से छात्रों को बेहद असानी होती। किताबों के डिजिटल होने से सबसे ज्यादा फायदा निर्धन छात्र-छात्राओं को ही मिलता क्योंकि कई ऐसे विषय है जिनकी किताबे सबसे ज्यादा महंगी होने के कारण छात्र इन किताबों को खरीद नहीं पाते। तो कई बार महंगी किताबे देने से लाइब्रेरी की ओर से ही मना कर दिया जाता है। लेकिन डिजिटल सुविधा होने से छात्रों को आसानी होती।।
बरेली से कपिल यादव