या हुसैन की सदाओं से गूंज उठा कर्बला, दफन हुए ताजिये

बरेली। 10वें मोहर्रम यौम ए आशुरा के दिन रविवार को सुबह ही तख्त और अलम के जुलूस निकलने शुरू हो गए। कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन और उनके साथियों की याद में शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाको में गम का माहौल रहा। सड़कों पर तख्त-ओ-तजियों के जुलूस और टोलियां ढोल-नगाड़ों की मातमी धुन पर कर्बला की ओर बढ़ते हुए या हुसैन… की सदाएं बुलंद करती रही। सुन्नी कर्बला बाकरगंज मे यौम-ए-आशुरा के मौके पर भीड़ रही। वही शिया समुदाय के लोग स्वालेनगर स्थित कर्बला में जुलूस लेकर पहुंचे। हजरत इमाम हुसैन सहित कर्बला के बहत्तर शहीदों की शहादत को याद में रविवार को मोहल्ला गर्दैया के इमामबाड़ा हकीम आगा साहब से अंजुमन गुलदस्ता ए हैदरी की ओर से जुलूस निकाला गया। दूसरा जुलूस इमामबाड़ा वसी हैदर गदैया से अंजुमन ऑल इंडिया गुलदस्ता ए हैदरी ने निकाला। दोनों जुलूस गौया, फूलवालान, डोमिनी मस्जिद रोड, कंघीटोला, किला सब्जी मंडी रोड होते हुए इमामबाड़ा फतेह अली शाह काला इमामबाड़ा पहुंचे। कोठी नवाब नब्बू साहब किला सब्जी मंडी से अंजुमन गुलदस्ता ए हैदरी ने जंजीरी और कमा का मातम किया। ऑल इंडिया गुलदस्ता ए हैदरी के मीडिया प्रभारी शानू काजमी ने बताया कि इमामबाड़ा फतेह अली शाह मे गहवारा ए हजरत अली असगर की जियारत कराई गई। दिल्ली से आए मौलाना नेमत अली कुम्मी ने हजरत अली असगर और कर्बला के शहीदों के मसाहायब बयां किए। उसके बाद वहां से शमशीर ए हैदरी सहित सभी अंजुमनें एक साथ जुलूस लेकर निकली। किला चौकी, क्रासिंग से होते हुए जुलूस अली कॉलोनी लीचीबाग मोड़ पहुंचा, जहां अंजुमन परचम ए अब्बास अली कालोनी लीचीबाग ने जंजीरी और कमा का मातम किया। उसके बाद जुलूस सत्यप्रकाश मार्ग से होते हुए स्वालेनगर स्थित शिया कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। जहां शिया समुदाय के लोगों ने ताजिये दफन किए।।

बरेली से कपिल यादव

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