ग़ाज़ीपुर। देवासुर संग्राम में दैत्यों के संहार हेतु कभी दधीचि ऋषि ने अपनी हड्डियों का दान किया था जिससे बज्र बनाकर असुरों का संहार हुआ। आज नित्यप्रति पैदा हो रहे भयंकर रोग असुर की तरह हैं जिनसे लड़ने के लिए मेडिकल कॉलेज के बच्चों को पार्थिव शरीर की आवश्यकता है इसके लिए लोगों को आगे आना चाहिए। गुरुवार को देहदान का संकल्प पत्र भरवाते हुए यह बातें समग्र विकास इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रजभूषण दूबे ने कहा। गाजीपुर नगर स्थित महुआबाग निवासी एवं रोडवेज के सेवानिवृत्त चालक 74 वर्षीय रामनरेश मिश्र तथा मेदनीपुर गांव निवासी 84 वर्षीय बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी ब्रह्म देव सिंह ने मरणोपरांत अपना पार्थिव शरीर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शरीर रचना विभाग को समर्पित करने का संकल्प पत्र भरा। संकल्प पत्र भरते हुए ब्रह्मदेव सिंह ने कहा कि आज देश में लाखों लोग अंगदान के अभाव में दम तोड़ रहे हैं साथ ही बीएचयू सहित देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में पार्थिव शरीर के अभाव में लोग डमी से अपना काम चला रहे हैं। बच्चों को पढ़ने के लिए पार्थिव शरीर की प्रबल आवश्यकता है जिसमें हमने एक छोटी सी आहुति दिया है। रोडवेज के सेवानिवृत्त चालक राम नरेश मिश्र ने कहा कि महर्षि दधीचि की परंपरा को पूरे देश में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है, यदि चिकित्सा विज्ञान के छात्र प्रायोगिक पढ़ाई नहीं पढ़ेंगे तो वह सुयोग्य चिकित्सक कभी नहीं बन पाएंगे। समग्र विकास इंडिया के व्याख्याता गुल्लू सिंह यादव ने बताया गाजीपुर से अब तक बीएचयू के पक्ष में तीन दर्जन से अधिक देहदान के संकल्प पत्र भरवाए गए हैं वही एक संकल्प पूरा भी किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि मरणोपरान्त नेत्रदान कराकर अब तक 16 लोगों को आंखें दी गई है इसे आगे बढ़ाया जाएगा।
– गाजीपुर से प्रदीप दुबे की रिपोर्ट