सहारनपुर – 20 अगस्त से मुहर्रम का महीना प्रारम्भ हो रहा है । इस दौरान इमाम हुसैन और उनके परिवार के अधिकांश लोगों को शांति की राह में शहीद कर दिया गया था ।
कुछ समय पहले गृह मंत्रालय से एक गाईड लाइन जारी हुई है । जिसमें मुहर्रम के किसी भी कार्यक्रम की अनुमति देने से साफ इन्कार कर दिया है । जिस से शिया समाज की भावनाएं आहत हुई है । मुहर्रम से शिया समाज के जज्बात जुडे हुए है यदि इन दिनों हमारे घर में कोई मौत भी हो जाती है तो हम उसका इतना गम नहीं करते जितना गम हमें इमाम हुसैन की शहादत का होता है ।
मुहर्रम के कार्यक्रमों को बडे इमाम बारगाहों में जो कई सौ गज़ में बने हुए है उनमें कम से कम 60 लोगों को सोशल डिस्टेन्स के साथ मजलिस की इजाजत दी जाए । छोटे इमाम बारगाहों में कम से कम 20 लोगों को मजलिस की अनुमति दी जाए । इन दिनों लोग अजाखाने एवं इमामबारगाहों में जियारत के लिए रोज जाते है लॉक डाउन के दौरान जायरीन को जियारत के लिए छूट दी जाए । सबसे अहम और जरूरी मुहर्रम की दस तारीख यानि यौम ए आशूरा जिस दिन इमाम हुसैन शहीद हुए थे जिसको दुनियावी भाषा में बडा मुहर्रम कहा जाता है इस दिन कम से कम 100 लोगों को मजलिस कर अलम , ताजिया एवं जुलजना के साथ सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए अपने अपने इलाकों की कर्बला जाने की अनुमति दी जाए ।
पत्र के माध्यम से कहा गया है कि यह कोई उत्सव या त्यौहार नहीं है यह एक बड़े मानव समूह के शोक और आस्था का प्रश्न है । लिहाजा आशूरा की इजाजत सोशल डिस्टेन्सिग का पालन करते हुए दी जाये।
– रविश आब्दी सहारनपुर