बाड़मेर/राजस्थान- जिस माँ के कंधों पर खेल कर दोनों बेटियां बड़ी हुई थी, आज उसी माँ की अर्थी को दोनों बेटियों ने कंधा भी दिया और अन्तिमसँस्कार करके पुत्र होने का दायित्व भी निभाया।
जोधपुर जिले की निवासी पुखिया देवी पत्नी बाबुलाल सामरिया की जोधपुर में बुधवार को लम्बी बीमारी से ग्रसित होने के कारण मौत हो गयी। मौत होने के बाद शव को बाड़मेर में उनके निवास स्थान हमीरपुरा के खटीक मोहल्ला में लाया गया। जहाँ से गुरुवार को उनकी अंतिम शव यात्रा निकाली गयी। पुखिया देवी के कोई भी पुत्र नही था उसकी दो बेटियां ही थी जिसमे बड़ी बेटी का नाम सुगान देवी तथा छोटी बेटी का नाम मांगी देवी है। बेटियां आजकल बेटों के किसी भी क्षेत्र में कम नही है चाहे फिर वो बॉर्डर हो या फिर घर बेटियां आजकल बेटों के किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है चाहे फिर वह बॉर्डर हो या घर-गृहस्थी। आज के समय मे बेटा-बेटी बराबर है और सिर्फ सोच बदलने की जरूरत है। यह वाक्या बाड़मेर जिले हमीरपुरा जगह का है। जानकारी के 86 वर्षीय पुखिया देवी की बुधवार को मौत हो गयी। पुखिया देवी की दोनों बेटियों ने माँ की अर्थी को श्मशानघाट तक कंधा दिया। जब दोनों बेटियों ने अपनी माँ की अर्थी को कंधा लेकर निकली तो देखने वालों की भीड़ लग गई। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर किसी व्यक्ति की आंखे नम थी। बेटियों ने एक नया मिशाल कायम किया है। बेटियों का कहना था कि, वह किसी ऐसे शास्त्र को नही मानती जो बेटे और बेटी में फर्क करता है। हमारी माता ने कभी फर्क नही किया। हमारा सौभाग्य है कि, हमें अपनी माँ का अन्तिमसँस्कार करने का मौका मिला है। भगवान ने भले ही उनको बेटा नहीं दिया। लेकिन बेटों के समान एक नहीं बल्कि दो बेटियां दी। दोनों बेटियों ने माँ की अर्थी को कंधा दिया और सारी रस्मे भी पूरी की। इस दौरान खटीक समाज के सभी लोगों ने बालिकाओं के इस हौसला अफजाई करते हुए सराहना की।
मिसाल : बेटियों ने पहले दिया माँ की अर्थी को कंधा, फिर निभाया बेटे का फर्ज
