सोनभद्र- मालोघाट स्थित गुरुकृपा आश्रम पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया,जिसमें अखण्ड रामायण पाठ, हरिकिर्तन ,भण्डार,निःषुल्क चिकित्सा शिविर शामिल था ।आपको बताते चले कि यह कार्यक्रम हर वर्ष आश्रम संस्थापक गोलोकवासी स्व0 सुभाष चन्द्र पाण्डेय एवं पूज्यमाता नर्मदा पाण्डेय की याद में होता है ।इस बार के कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण वनवासी सम्मेलन का आयोजन रहा है,जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में पधारे वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद जी रहे ।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन करके किया गया,इसके बाद मुख्यअतिथि का स्वागत स्थानीय लोक कलाकारो ने करमा नृत्य प्रस्तुत किया ।अपने संबोधन में आश्रम के अध्यक्ष प्रवीण चन्द्र पाण्डेय ने आश्रम के विगत वर्षी के कार्योका लेखा जोखा रखा, उन्होने कहा कि वनवासी समाज क तीस बच्चो की शिक्षा दीक्षातथा रहने खाने की व्यवस्था आश्रम के द्वारा सबके सहयोग से किया जा रहा हैउन्होने सभी से अपील की वह भी आश्रम के द्धारा किये जा रहे कार्यी में सहयोग प्रदान करें ।अखिल हिन्दू बाह्मण सभा के उमेश ओझा ने कहा कि हम सभी को आदिवासीयों की तन मन धन से सेवा करनी चाहिये । मुख्य अतिथि कृपा जी ने सनातन संस्कृति और वनवासी समाज के लिये सभी से अपील कि आप लोग इनकी सेवा करे,जिस प्रकार भगवान राम ने वनवासी समाज के लिये समरसता दिखायी उसी प्रकार हम सभी को यथायोग्य मदद करनी चाहिये उन्होने आश्रम के कार्य की सराहाना करते हुए कहा कि इस प्रकार के छोटे छोटे वनवासी सम्मेलन होते रहने चाहिये जिससे इन्हे भी समाज की मुख्यधारा में लाया जा सके । आश्रम के टस्ट्री नवीन चन्द्र पाण्डेय ने आये हुए अतिथियो का आभार प्रकट किया तथा अल्ट्राटेक डाला,अरुण डेन्टल हास्पिटल, सर्व सेवा कल्याण डाला की मेडिकल टीम विशेष रुप से आभार प्रकट किया जिन्होने अपना बहुमूल्य समय निकालकर निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाया ।इस अवसर पर नगर पंचायत रेणुकूट के अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह,समाजसेवी मनोज पाण्डेय, जी आई सी पिपरी अशोक त्रिपाठी,अनपरा जी आई सी के प्रधानाचार्य विवेकानन्द मिश्र,प्रवीन दूबे,मनोज बाबा,सभासद सुजीतसिंह,अजीत गुप्ता,सुरेश चौरासिया,आकाश पाण्डेय,मनोज धर,नवीन पाण्डेय,संजय तिवारी,विजय नाथ पाण्डेय समेत बडी संख्या जनपद के सभी पंचायतो से आदिवासी समाज के लोग उपास्थित रहे ।कार्यक्रम का संचालन पत्रकार मस्तराम मिश्र ने किया ।
रिपोर्ट-:सर्वदानंद तिवारी सोनभद्र