मिर्जापुर- लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में होने वाले मतदान के लिए मात्र चार दिन शेष हैं। ऐसे में मिर्जापुर सांसद द्वारा पिछले पांच साल में किए गए कार्यों का हिसाब और समीक्षा हमारा धर्म भी है और स्वस्थ्य लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमारा कर्तव्य भी। माननीय सांसद जी जो कि केंद्र में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भी हैं, ने अपने कार्यकाल में जो कार्य कराए हैं उसकी एक बानगी और प्राथमिकता का अंदाजा महज सांसद निधि की समीक्षा से ही लगाई जा सकती है। माननीय सांसद जी को तथ्यों की कसौटी पर कसने के लिए हमने यह चार्जशीट तैयार की है। जिसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
सांसद निधि
• पांच साल में 5 करोड़ रुपये के हिसाब से प्रत्येक माननीय सांसद को 25 करोड़ रुपये की सांसद निधि अपने क्षेत्र के विकास के लिए मिलती है। मिर्जापुर सांसद को 2.50 करोड़ रुपये की आखिरी किस्त इसलिए रिलीज नहीं की गई क्योंकि वो पहले से आवंटित राशि में से 3.84 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाईं।
• एक महिला सांसद होने के नाते जनता को उम्मीद थी कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे को चरित्रार्थ करते हुए माननीय सांसद शिक्षा को प्राथमिकता देंगी। लेकिन शिक्षा के मद में उन्होंने अपनी सांसद निधी से मात्र 69 लाख रुपया ही खर्च किया।
• सांसद निधि का सबसे बड़ा यानी 8.13 करोड़ रुपया हिस्सा यात्री शेड पर खर्च किया गया जो पांच साल में ही जर्जर होने लग गए।
दाल में काला है, यात्री शेड घोटाला है
• गहनता से जांच की जाए तो यात्री शेड के नाम पर भारी लूट हुई है। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना में एक घर बनाने के लिए 1.45 लाख रुपये मिलते हैं और एक यात्री शेड बनाने पर जो रकम खर्च हुई है वो ठीक इसका दोगुना यानी 2.90 लाख रुपये है।
• यही नहीं कुछ यात्री शेड ऐसे हैं जो 9.54 लाख में भी बने हैं। जबकि सांसद निधि की डिटेल में एक विद्यालय में हाल बनाने का खर्च 5 लाख रुपये आया है। यह कैसा यात्री शेड है, जो एक हाल से भी महंगा पड़ रहा है? यह सवाल उठना लाजमी है।
• यात्री शेड बनवाने में जिस कार्यदायी संस्था से काम लिया गया उसका नाम पैकफेड है। आप सभी जानते हैं कि इस संस्था के भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त है।
पेय जल संकट
• मिर्जापुर का बहुत बड़ा इलाका सूखा प्रभावित है, गर्मी के समय में पेयजल का संकट गहरा जाता है।
• ऐसे में पेयजल संकट से जिले को उबारना माननीय सांसद जी की प्राथमिकता होनी चाहिए थी, लेकिन हलिया, लालगंज और मड़िहान के पहाड़ी गांवों के लोग आज भी अदद हैंडपंप की बाट जोह रहे हैं।
फिसड्डी हुई सौर ऊर्जा योजना
• बहु प्रचारित सौर ऊर्जा योजना भी कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गई।
• आदर्श स्थिति में शासन की मंशा के अनुसार यह कार्य नेडा को दिया जाना चाहिए था, लेकिन कार्य सौंपा गया यूपी स्टेटे एग्रो को, ताकि जनता के विकास के पैसे की बंदरबांट हो सके।
स्वास्थ्य
• मण्डलीय अस्पताल का आलम यह है कि कई महीनों से यहां एक्स रे की मशीन तो थी लेकिन डॉक्टर ना होने के कारण मरीजों को आस-पास के जिले में रेफर कर दिया जाता था।
• मेडिकल कॉलेज के नाम पर माननीय सांसद अपने सोशल मीडिया पर तस्वीर साझा कर रही हैं, जिसकी हकीकत यह है कि अभी मेडिकल कॉलेज के नाम पर महज बाउंड्री ही बन पाई है।
• प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत यह है कि डॉक्टर तो दूर कंपाउंडर ही मिल जाए तो बहुत बड़ी बात है।
• मरीजों के लिए एम्बुलेंस खस्ताहाल अवस्था में हैं, उनका रख रखाव भी संभव नहीं हो पा रहा।
गोद लिए आदर्श गांव
• पिछले कुछ महीनों में कई समाचार पत्रों ने माननीय सांसद द्वारा गोद लिए गांवों की रिपोर्ट दिखाई है। जिसमें यह बताया गया है कि कुपोषण, पेयजल, आवास इन सभी पैमानों पर इन गांवों में ना के बराबर कार्य हुआ है।
पर्यटक सांसद
• माननीय सांसद ने वायदा किया था कि वे मिर्जापुर को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करेंगी। लेकिन हकीकत में वह स्वयं जिले के लिए पर्यटक बनकर रह गईं।
• माननीय सांसद के कार्यकाल में एक जाति विशेष की सुनी गई और उन्हें ही प्राथमिकता दी गई।
मिर्जापुर से बृजेन्द्र दुबे की रिपोर्ट