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भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर तैयार

सरहदी इलाकों में पहले सड़कों का जाल सुरक्षित, बाद में हमारे घर परिवार : संतोष कुमार नायर

बाड़मेर /राजस्थान – भारतवर्ष लगातार अपने पड़ोसी देशों की तरफ से मिलने वाली चुनौतियों का सामना कर रहा है। चीन और पाकिस्तान दोनों देशों से अपने संबंध ठीक करने की कवायद भारत ने पिछले एक दशक से तेज कर दी है, हालांकि सीमावर्ती इलाको का इंफ्रास्ट्रक्चर भारत के सामने हमेशा से एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ा है।इसी को देखते हुए पिछले सात सालों के दौरान देशभर में सड़क परियोजनाओं और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर्स को विकसित करने के लिए बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के बजट में तीन से चार गुना की वृद्धि केन्द्र सरकार द्वारा की गई है।

सरहदी इलाकों की चकाचौंध वाली सड़कों को देखते हुए सीमा सड़क संगठन 1520 आरएमपीएल 95 आर सी सी ग्रेफ तनोटराय डेट के ओवर सियर उदयवीर सिंह, डी वी आर एम डी सन्तोष कुमार नायर, मैसन कमलापति पाल और सीपीएलसी के कर्मचारियों को सड़कों की सुरक्षा व्यवस्थाओं सहित दिन रात कड़ी मेहनत से चाक चौबंद करने में लगे हुए हैं।

इस समय पूरे देश के सीमावर्ती राज्यों में लगभग तीन सौ सड़कों पर काम जारी है।विशेषकर भारत पाकिस्तान, चीन से सटे सीमावर्ती इलाकों में सबसे ज्यादा सड़कें तैयार की जा रही हैं वहीं, अरुणाचल प्रदेश में 54 रोड पर काम जारी है। जम्मू कश्मीर में 61 और लद्दाख में 43 सड़कों पर काम युद्धस्तर पर चल रहा है।

उदयवीर सिंह ने बताया कि बीआरओ जिन सड़कों पर काम कर रहा इनमें से ज्यादातर सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है और सेना के मूवमेंट के साथ-साथ सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के जीवन को बेहतर बानाने और देश के बाकी हिस्सों से साल भर जोड़े रखने के लिए ये सड़कें बेहद कारगर साबित होंगी। जानकारी के मुताबिक कुल मिलाकर 14071.54 किलोमीटर लंबाई की सड़कों पर काम जारी है, जिसमें चीन से लगती सीमा पर अरुणाचल प्रदेश में 54, लद्दाख में 42, उत्तराखंड में 24, सिक्किम में 21, हिमाचल प्रदेश में 7 सड़कें सीमावर्ती इलाकों में बनाई जा रही हैं।

वहीं, भारत पाकिस्तान से लगते भारतीय इलाकों में भी सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के इलाकों, जिनमें जम्मू कश्मीर में 60, पंजाब में 6, राजस्थान में 23 सड़कें तैयार की जा रही हैं। उत्तर-पूर्व के राज्यों में जिनकी सीमा म्यांमार और बांग्लादेश से लगती हैं, वहा भी काम जोरो पर चल रहा है। पश्चिम बंगाल में 3, मिजोरम में 8, मणिपुर में 9, नागालैंड में 2 और अंडमान निकोबार में 1 सडक का निर्माण कार्य जारी है।

वहीं लेह और मनाली एक्सिस पर और 3 पास पर 3 टनल बनाए जाने हैं. इनमें बारलाचाला पास (ऊंचाई 16,040 फुट), लाचुंगला पास (ऊंचाई 16,800 फुट) और थांगला-ला पास (ऊंचाई 17,480 फुट) शामिल हैं। इन सड़कों में ज्यादातर ऑल वेदर रोड्स हैं, जो हर मौसम में सेना और स्थानीय निवासियों द्वारा इस्तेमाल की जा सकेंगी. इन सड़कों को बनाते हुए इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि भारतीय सेना के भारी भरकम साजों सामान को आसानी से कम समय के भीतर बॉर्डर तक पहुंचाया जा सके।

– राजस्थान से राजू चारण

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