बरेली। बोर्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी शिक्षा पद्धति को पुनर्जीवित करना है। इस शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य विद्यार्थियों में आत्मगौरव, भारतीयता, पवित्र चरित्र और वैश्विक नागरिक के गुणों का विकास करना है। यह बात बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. एनपी सिंह ने जीआईसी ऑडिटोरियम में आयोजित संगोष्ठी में कही। बताया कि पाठ्यक्रम में भारत के लगभग 120 महान नायक एवं नायिकाओं की शौर्य गाथाओं को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि देश मे अब शिक्षा के क्षेत्र में एक और बोर्ड काम करेगा। जिसका नाम भारतीय शिक्षा बोर्ड होगा। अभी तक सीबीएसई, आईसीएसई समेत जो बोर्ड संचालित हो रहे हैं, उनके साथ मिलकर यह बोर्ड भी शिक्षा के क्षेत्र में काम करता दिखेगा। देश के सैकड़ों स्कूल इस बोर्ड से जुड़ भी चुके है। नई शिक्षा नीति के तहत इस बोर्ड का संचालन होगा। इसके गठन की अनुमति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 में दी थी। आधुनिक शिक्षा पद्धति के हिसाब से इसके सिलेबस तैयार किए जा रहे है। बोर्ड द्वारा भारत के नौनिहालों को आधुनिक शिक्षा के साथ तकनीकी और भारतीय ज्ञान परंपरा की शिक्षा से भी जोड़ा जा सकेगा। वह सिर्फ रोजगार पाने के लिए नही बल्कि रोजगार देने को भी स्थिति में खुद को तैयार कर सकेंगे। डीएम अविनाश सिंह ने कहा कि संस्कारों का प्रारम्भ बच्चों को बचपन से ही देना आवश्यक है। हमें अपने बच्चों को भारतीय ऋषि मुनियों और देवी देवताओं, वेद, पुराणों आदि के बारे में विस्तार से बताना चाहिए, जिससे वो आगे चलकर अपनी संस्कृति को बढ़ा सकें। कार्यक्रम मे अनेक विद्यालयों के वान प्रबंधक प्रधानाचार्य उपस्थित रहे। इस क्व मौके पर भारत स्वाभिमान के राज्य प्रभारी मीन सुनील शास्त्री, पतंजलि किसान सेवा निम समिति के राज्य प्रभारी दयाशंकर आर्य, मो रामबाबू गुप्ता, ओमप्रकाश यादव, मोन रामदास गंगवार एवं यशोधन आदि रहे।।
बरेली से कपिल यादव
