भाजपाई मुख्यमंत्री के खिलाफ भी हिन्दुत्व बन रहा मुद्दा: खुद मांसाहारी कर रहे स्लाटर हाउस का विरोध

रुड़की/हरिद्वार- मंगलौर का स्लाटर हाउस मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रकारांतर से निशाना नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बनाया जा रहा है क्योंकि त्रिवेन्द्र सिंह रावत सीधे दिल्ली की कृपा से मुख्यमंत्री बने थे। आज मेरे इस विचार की कई प्रकार से पुष्टि हुई।

रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा और खानपुर विधायक प्रणव सिंह चैंपियन के बयान आज अखबारों में छपे हैं जिन्होंने विधायक संजय गुप्ता का पक्ष सही बता कर सलाटर हाउस का विरोध किया है। दिलचस्प रूप से प्रदीप बत्रा ने इसे पशु क्रूरता से जोड़ा है। मुझे याद है सत्ती मोहल्ले में हुई मुहम्मद अख़्तर कुरैशी के बेटे की वह शादी जिसमें मैं और बत्रा दोनों आमंत्रित थे। इस में चिकन और मीट के दर्ज़न भर आइटम परोसे गए थे और पंजाबी स्टाइल में कहूँ तो बत्रा ने ‘छक कर’ चिकन खाया था। मैंने तो खैर मीट भी खाया था।

बत्रा की आधा दर्जन से अधिक रोज़ा अफ्तार पार्टियों में सिर्फ चिकन बिरयानी का जलवा दीखता रहा है। सौ बातों की एक बात। 2017 में योगी के साथ त्रिवेंद्र सरकार ने भी उत्तराखंड में मांस-मीट पर प्रतिबंध लगाया था। तब देहरादून, जवालापुर, कलियर व मंगलौर में कुछ दिन मांस-मीट की दुकानें बंद भी रही थी। लेकिन रुड़की में शिकायत करने के बावजूद एक भी दिन मांस-मीट का काम बंद नहीं हुआ था। इसके दो कारण हैं। यहाँ चिकन-मटन से बने खाद्य पदार्थों का सबसे बड़ा कारोबार पंजाबी समुदाय के लोगों के हाथ में है जो बत्रा के सजातीय हैं। दो, मीट के कारोबारी सभी मुस्लिम बत्रा की गुडबुक में हैं। उन्होंने विधानसभा में भी बत्रा के हित का धयान रखा था और मेयर के चुनाव में भी यही उम्मीद है। बत्रा ने विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल इमली रोड पर कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश जैन का मंच, उनकी अनुपस्थिति में, कब्ज़ा लिया था और इस बात को बाकायदा ज़ोर देकर कहा था कि ‘जैन उनके घर का खाना नहीं खा सकते जबकि मैं खा सकता हूँ। मैं कबाब भी खा सकता हूँ।’ इसका असर चुनाव में दिखा था। इस इलाके में कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन घट गया था।

इस सिलसिले में यह उल्लेखनीय है कि केवल रुड़की में ही मांस-मीट का कारोबार मिश्रित लोगों के हाथ में है। यहाँ पासी बिरादरी के भी बड़ा काम है जो बत्रा का समर्थन करती आ रही है। इसके विपरीत, मंगलौर, कलियर और जवालापुर में विशुद्ध रूप से मुस्लिम ही यह काम करते हैं और यहाँ मांस-मीट का उपभोक्ता भी मुस्लिम ही हैं। इसलिए रुड़की में सावन के महीने में कांवड़ यात्रा के बावजूद इस काम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। हर दिन झोटा-भैस की दुकानें सामान्य रूप से खुली। और बत्रा मंगलौर के स्लाटर हाउस का विरोध कर रहे हैं, वह भी पशु-क्रूरता के नाम पर। ज़ाहिर है कि मसला वह है ही नहीं जो दिखाया जा रहा है। मसला सीएम-पीएम पर दबाव बनाने का है।

– रूडकी से इरफान अहमद की रिपोर्ट

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