ब्लॉक मुख्यालय पर मनाई गई डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती

नागल/ सहारनपुर- ब्लॉक मुख्यालय के सभागार में भारत को संविधान देने वाले महान नेता भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के 128 वां जयंती के मौके पर ब्लॉक प्रमुख विजेन्द्रसिंह ने बाबा साहब की चित्र पर माला अर्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित कर विजेन्द्रसिंह ने कहा कि बाबा साहब प्रतीक पुरुष व संविधान शिल्पी थे। बाबा साहब के विचार और उनका व्यक्तित्व हम सब के लिए एक प्रेरणा स्तोत्र है । उन्होंने जीवन पर्यंत सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया ।डॉ भीमराव अम्बेडकर को बाबासाहेब नाम से भी जाना जाता है। अम्बेडकर उनमें से एक हैं। जिन्होंने भारत के संबिधान को बनाने में अपना योगदान दिया था। अम्बेडकर एक जाने माने राजनेता व प्रख्यात विधिवेत्ता थे। इन्होंने देश में से छुआ छूत जातिवाद को मिटाने के लिए बहुत से आन्दोलन किये। इन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों को दे दिया। दलित व पिछड़ी जाति के हक के लिए इन्होंने कड़ी मेहनत की। आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरु के कैबिनेट में पहली बार अम्बेडकर जी को लॉ मिनिस्टर बनाया गया था। अपने अच्छे काम व देश के लिए बहुत कुछ करने के लिए अम्बेडकर को 1990 में देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।
अम्बेडकर अपने माँ बाप की 14 वी संतान थे। उनके पिता इंडियन आर्मी में सूबेदार थे। व उनकी पोस्टिंग इंदौर के पास महू में थी। यही अम्बेडकर का जन्म हुआ। 1894 में रिटायरमेंट के बाद उनका पूरा परिवार महाराष्ट्र के सतारा में शिफ्ट हो गया। कुछ दिनों के बाद उनकी माँ चल बसी। जिसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। और बॉम्बे शिफ्ट हो गए। जिसके बाद अम्बेडकर जी की पढाई यही बॉम्बे में हुई 1906 में 15 साल की उम्र में उनका विवाह 9 साल की रमाबाई से हो गया। इसके बाद 1908 में उन्होंने 12 वी की परीक्षा पास की। छुआ छूत के बारे में अम्बेडकर ने बचपन से देखा था। वे हिन्दू मेहर कास्ट के थे। जिन्हें नीचा समझा जाता था व ऊँची कास्ट के लोग इन्हें छूना भी पाप समझते थे। इसी वजह से अम्बेडकर ने समाज में कई जगह भेदभाव का शिकार होना पड़ा। इस भेदभाव व निरादर का शिकार अम्बेडकर को आर्मी स्कूल में भी होना पड़ा जहाँ वे पढ़ा करते थे। उनकी कास्ट के बच्चों को क्लास के अंदर तक बैठने नहीं दिया जाता था। टीचर तक उन पर ध्यान नहीं देते थे। यहाँ उनको पानी तक छूने नहीं दिया जाता था। स्कूल का चपरासी उनको उपर से डालकर पानी देता था। जिस दिन चपरासी नहीं आता था। उस दिन उन लोगों को पानी तक नहीं मिलता था।
डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को हमारे देश में एक महान व्यक्तित्व और नायक के रुप में माना जाता है तथा वह लाखों लोगों के लिए वो प्रेरणा स्रोत भी है। बचपन में छुआछूत का शिकार होने के कारण उनके जीवन की धारा पूरी तरह से परिवर्तित हो गयी। जिससे उनहोंने अपने आपको उस समय के उच्चतम शिक्षित भारतीय नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया और भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना अहम योगदान दिया। भारत के संविधान को आकार देने और के लिए डॉ भीमराव अम्बेडकर का योगदान सम्मानजनक है। उन्होंने पिछड़े वर्गों के लोगों को न्याय समानता और अधिकार दिलाने के लिए अपने जीवन को देश के प्रति समर्पित कर दिया।
1936 में अम्बेडकर ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया। 1937 के केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 15 सीट की जीत मिली। अम्बेडकर अपनी इस पार्टी को आल इंडिया शीडयूल कास्ट पार्टी में बदल दिया। इस पार्टी के साथ वे 1946 में संविधान सभा के चुनाव में खड़े हुए। लेकिन उनकी इस पार्टी का चुनाव में बहुत ही ख़राब प्रदर्शन रहा। कांग्रेस व महात्मा गाँधी ने अछूते लोगों को हरिजन नाम दिया। जिससे सब लोग उन्हें हरिजन ही बोलने लगे। लेकिन अम्बेडकर को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने उस बात का विरोध किया। उनका कहना था अछूते लोग भी हमारे समाज का एक हिस्सा है। वे भी बाकि लोगों की तरह नार्मल इन्सान है।
भीमराव अम्बेडकर को संविधान गठन कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। उनको स्कॉलर व प्रख्यात विधिबेत्ता भी कहा गया। अम्बेडकर ने देश की भिन्न भिन्न जातियों को एक दुसरे से जोड़ने के लिए एक पुलिया का काम किया। वे सबके सामान अधिकार की बात पर जोर देते थे। अम्बेडकर के अनुसार अगर देश की अलग अलग जाति एक दुसरे से अपनी लड़ाई ख़त्म नहीं करेंगी तो देश एकजुट कभी नहीं हो सकता।
1950 में अम्बेडकर एक बौद्धिक सम्मेलन को अटेंड करने श्रीलंका गए वहां जाकर उनका जीवन बदल गया। वे बौध्य धर्म से अत्यधिक प्रभावित हुए। और उन्होंने धर्म रुपान्तरण की ठान ली। श्रीलंका से भारत लौटने के बाद उन्होंने बौध्य व उनके धर्म के बारे में एक किताब लिखी व अपने आपको इस धर्म में बदल लिया। अपने भाषण में अम्बेडकर हिन्दू रीती रिवाजो व जाति विभाजन की घोर निंदा करते थे। 1955 में उन्होंने भारतीय बौध्य महासभा का गठन किया।
6 दिसम्बर 1956 को अंबेडकर की मृत्यु हो गई। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया।
इस मौके पर खण्ड विकास अधिकारी प्रवीण कुमार वर्मा, प्रतिनिधि पपिन चौधरी, सतेंद्र निदेशक, सुनील चौधरी,मनसब अली, ओमप्रकाश जैन, ईन्दरपाल मलिक, सीपी सिंह, नैनसिंह, अरूण त्यागी, सतीश तायल, मुकेश माहेश्वरी, बिजेन्द्र, तेजपाल, अनिल कुमार, कुलदीप सिंह, सहेन्दर कश्यप, रमेशचंद,कपिल डावर, सहित सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।

– सुनील चौधरी सहारनपुर

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