बरेली। नगर निगम बरेली द्वारा बनाई जा रही मल्टीस्टोरी बिल्डिंगअवैध घोषित हो गई है। क्योंकि बीडीए से नक्शा पास नहीं कराया गया और न ही फायर ब्रिगेड से एनओसी ली गई। इस निर्माण कार्य पर अब तक 18 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके है जबकि परिसर के सौंदर्यीकरण के लिए बरेली स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 4 करोड़ रुपये अलग से खर्च किए गए। इसका खुलासा कार्यदायी एजेंसी वीके कंस्ट्रक्शंस के प्रोजेक्ट मैनेजर अमित टम्टा ने किया। उन्होंने बताया कि उनकी एजेंसी को केवल निर्माण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जबकि नक्शा पास कराने और एनओसी लेने की जिम्मेदारी पूरी तरह से नगर निगम अधिकारियों की थी। शुरुआत मे इस इमारत का अनुमानित बजट 12.5 करोड़ रुपये था, जो बढ़कर 18 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसके बावजूद निर्माण की गुणवत्ता इतनी खराब रही कि कई जगहों पर प्लास्टर उखड़ने लगा है। इस स्थिति को देखते हुए कमिश्नर के निर्देश पर नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने एक जांच कमेटी गठित की है। यह कमेटी न केवल निर्माण गुणवत्ता की जांच कर रही है, बल्कि यह भी देख रही है कि अधूरी बिल्डिंग का उद्घाटन कैसे किया गया और बिना पूर्ण निर्माण के सरकारी कार्यालयों को इसमें स्थानांतरित करने की अनुमति कैसे दी गई। बीडीए से बिना नक्शा पास कराए ही तीन पांच मंजिला इमारतें खड़ी कर दी गईं। जिम्मेदार अधिकारियों की नाक के नीचे नियमों की अनदेखी की गई और निर्माण टेंडर में घोटाले हुए। सुरक्षा इंतजाम भी पूरी तरह से नदारद हैं, जिससे किसी भी संभावित हादसे में कर्मचारियों, अधिकारियों और नागरिकों की जान को खतरा हो सकता है। यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। नगर निगम के निर्माण विभाग, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों और कार्यदायी एजेंसी के बीच मिलीभगत की आशंका है। मामूली खामियों को उजागर कर निर्माण कार्य को संतोषजनक घोषित करने की योजना तैयार की जा रही है।।
बरेली से कपिल यादव