बिजनौर- शेरकोट देश में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या से आखिर कब तक गरीबों को गरीबी झेलनी पड़ेगी जिन बच्चों के हाथों में किताब और कलम होना चाहिए आज वह हाथों में किताब और कलम की जगह मजदूरी करते नजर आ रहे है, वह होटलों पर प्लेट गिलास धोते नजर आ रहे हैं आख़िर क्यों यह देश का भविष्य आज अपने जीवन के साथ खिलवाड़ करने पर मजबूर है।
गौरतलब है कि सरकार ने बच्चों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं चला रखी है बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए जाएं इसके लिए सरकार ने मिड डे मील योजना शुरू की ताकि आने वाले कल के लिए देश की तरक्की में अपना योगदान दें परंतु इस प्रकार की योजनाओं का लाभ पूरी तरह गरीब के बच्चों को नहीं मिल पाता यह मासूम या तो कहीं ईट बनाते या ढोते मिलते हैं या होटलों पर प्लेट गिलास धोते नजर आते हैं इस तरह इनकी जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है लेकिन श्रम अधिकारी इस ओर ध्यान न देकर आंखें मूंदे बैठे हैं सरकार को चाहिए कि बाल श्रम को रोकने एवं मासूम बच्चों की भलाई के लिए प्रभावी योजनाएं बनाकर उनका सही प्रकार पालन करें। नगर की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन समाजसेवी संस्थाओं आदि के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि वे बाल श्रम पर अंकुश लगाएं।
-बिजनौर से पंडित दिनेश कुमार शर्मा