बसंत पंचमी न सिर्फ ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है, बल्कि कवियों, शायरों व गीतकारों के लिए भी प्रेरणादायक- डॉ. मीनाक्षी

बरेली। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई केलकर महिला छात्रावास में बसंत पंचमी उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन, सरस्वती वंदना और दीप मंत्र उच्चारण के साथ की गई। इस पावन अवसर पर हॉस्टल वार्डन डॉ. मीनाक्षी द्विवेदी और सहायक वार्डन डॉ. कामिनी विश्वकर्मा की उपस्थिति में छात्राओं ने श्रद्धा और उमंग के साथ भाग लिया। डॉ. मीनाक्षी द्विवेदी ने कहा कि बसंत पंचमी न सिर्फ ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है, बल्कि यह दिन भारतीय कवियों, शायरों और गीतकारों के लिए भी प्रेरणादायक रहा है। यह त्योहार न केवल ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना का अवसर है, बल्कि बदलते मौसम और बढ़ते दिनों के स्वागत का भी प्रतीक है। डॉ. कामिनी विश्वकर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस बार बसंत पंचमी का पर्व महाकुंभ से जुड़ने के कारण और भी विशेष हो गया है। इस पर्व के महत्व को और अधिक बढ़ाता है, जिससे इस दिन की महत्ता और पवित्रता कई गुना बढ़ जाती है। इस अवसर पर छात्रावास की छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। उपस्थित छात्राओं मे रविकर यादव, ऋचा, अंशिका, मनीषा, सुरुचि, अक्षरा, ललिता, तान्या, सरगम, जॉली, वंदना, गरिमा आदि शामिल थीं। सभी ने मिलकर बसंत पंचमी का यह पावन पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाया। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए छात्रावास प्रशासन और छात्राओं की भूमिका सराहनीय रही।।

बरेली से कपिल यादव

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