बरेली। मंगलवार को 105वें उर्स-ए-रजवी के आखिरी दिन आला हजरत फाजिले बरेलवी के कुल शरीफ की रस्म लाखों के देश-विदेश के अकीदतमंदों, उलेमा, सज्जादगान की मौजूदगी मे अदा की गई। इस मौके विश्व के नामचीन उलेमा ने दुनियाभर के मुसलमानों के नाम खास पैगाम जारी किया। कुल शरीफ के बाद तीन रोज़ा उर्स का समापन हो गया। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने मुल्क-ए-हिंदुस्तान समेत दुनियाभर में अमन-ओ-सुकून व खुशहाली की ख़ुसूसी दुआ की। मंगलवार की सुबह हल्की बारिश हुई लेकिन रजा के कदम नही रुके। उर्स स्थल इस्लामिया इंटर कॉलेज का मैदान पूरी तरह खचाखच भर गया। सड़कों पर जायरीनों का सैलाब दिखाई दिया। आला हजरत के कुल मे मंगलवार को रजा के दीवानों का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही जायरीनों का हुजूम उर्स स्थल पर पहुंचने लगा। इस्लामियां इंटर कॉलेज का मैदान में जायरीनों से खचाखच भर गया। दोपहर करीब ढाई बजे आला हजरत के कुल की रस्म अदा की गई। इसी के साथ तीन रोजा उर्स का समापन हो गया। दरगाह आला हजरत के प्रमुख सुब्हान रजा खां (सुब्हानी मियां) और दरगाह सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन अहसन मियां की कयादत (मार्गदर्शन) में कुल की रस्म अदा की गई। अपनी तकरीर में मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा आज हिंदुस्तान भर में मीडिया व सोशल मीडिया पर साजिश के तहत पैगाम दिया जा रहा है कि हिंदुस्तानी मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू थे। मैं इस जिम्मेदार स्टेट से कहना चाहता हूं कि हिंदुस्तानी मुसलमानों के पूर्वज मुसलमान थे। हमारा डीएनए हज़रत आदम अलेहअस्सलाम का है। हम कुरान और हदीस के मानने वाले है। मुसलमानों ने भी मुल्क की आज़ादी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। अब्दुल हमीद, टीपू सुल्तान,अल्लामा खैराबादी समेत हजारों मुसलमानों ने अपने लहू से कुर्बानी दी। सियासी पार्टियां अपने सियासी फायदे के लिए देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई पैदा करने का काम कर रही हैं। मुसलमान नफरत का जवाब फूलों से दे। मुल्क भर में हिंदू मुसलमान कमेटियां बनाकर इस नफरत की खाई को पाटने की कोशिश करे। कुल मे जायरीनों की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए है। भीड़ के चलते जायरीनों को कोई दिक्कत न हो इसलिए रूट डायवर्जन किया गया। हालांकि कुल के मौके पर इतनी भीड़ उमड़ी कि शहर में जाम की स्थित बन गई। सेटेलाइट बस अड्डे पर सुबह 10 बजे भीषण जाम लग गया। सैकड़ों वाहन फंस गए थे।।
बरेली से कपिल यादव