कुशीनगर – कुशीनगर हादसे में मरे बच्चों के मौत ने सबको झकझोर दिया।बच्चो की मौत पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ घंटो में घटनास्थल पर पहुचने के बाद जिम्मेदारो को नही बख्शे जाने की बात कही व इस घटना में किसी प्रकार की लापरवाही करने वालो के खिलाफ सख्त कार्यवाही कर 4 अधिकारिओ को सस्पेंड कर दिया। मुख्यमंत्री के सख्त रुख का स्वास्थ विभाग पर कोई असर हुआ उसे डाक्टरों की लापरवाही ने जगजाहिर कर दिया।बच्चों का पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों ने मानवता को शर्मसार करते हुए मासूम बच्चों के शवों को बिना सिलाई किये ही छोड़ दिया जिससे उनके शरीर के अंग बाहर आ गये।डाक्टरों ने पेट और सिर का पोस्टमार्टम करने के बाद सिला ही नहीं था। कामरान और फरहान दोनों भाईयों के शवों को नहलाने के लिए खोला गया तो भीतर के सारे अंग दिखाई पड़ रहे थे।डाक्टरों की संवेदनहीनता से हर कोई आक्रोश में था। मौके पर उपस्थित लोगों ने व मीडिया के कैमरे ने भी वह मंजर साफ़-साफ़ देखा था ।
जानकारी के अनुसार मीडिया में बात आने के बाद जिला प्रशासन के हाथ-पाँव फूल गये , जिलाधिकारी व पूरा जिला प्रशासन जांच के नाम पर पूरे मामले की लीपापोती में लग गया।
जो भीतरी अंग कैमरे में साफ़ बाहर दिख रहे है यही नही परिजनों का आक्रोश भी कैमरे में कैद है ।इस ठोस प्रमाण ने इसे झुठला दिया ।अंतिम विकल्प ने इस प्रकरण को प्रमुखता से उजागर किया।
जिलाधिकारी ने बुलाई गयी प्रेसकांफ्रेंस में साफ़ तौर पर बच्चों के पेट के खुले होने का खण्डन किया व कहा ,दोनों बच्चो का पोस्टमार्टम के बाद पेट व सिर सिल दिया गया था।
पर अब बड़ा सवाल यह है कि क्या कैमरे में कैद शव दिखाते परिजनो का आक्रोश सही था या जिलाप्रशासन की रिपोर्ट ?
अब इस मामले की सत्यता की जांच कौन करे…?
-कुशीनगर से अनूप यादव की रिपोर्ट