पैदल चलकर लोगों को जागरूक करने का उठाया बीड़ा: फिल्म निर्माता डॉ डाल्टन एवं विभू वत्स ने

* जल, जंगल, जमिन सभी जीवो का मुलभूत अधिकार हैं
बिहार- आज जहां पूरी दुनिया दिखावा में विश्वास कर अपने ऐशो आराम से जिंदगी वशर करने में मशगूल है, वहीं वे इस बात से वाकिफ नहीं होना चाहते हैं कि वे किसी कदर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति के द्वारा वरदान स्वरूप प्राप्त जल जंगल और जमीन को हम कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं.
समस्त भारत में लोगों को प्रकृति के द्वारा दिए गए उपहारों की सुरक्षा करने के लिए लोगों को जागरूक करने का वीरा उठाया है युवा फ़िल्म निर्माता डाल्टन एवं बिहार के सपूत विभू वत्स और साथियों ने. इन दोनों युवाओं के साथ 9 सदस्यों की टीम है जो 15 मई को मुंबई से पद यात्रा शुरु कर आज 64वे दिन मध्य प्रदेश के बोहरान पुर पहुचा जहां लोगों को जल जंगल और जमीन की सुरक्षा के प्रति आवश्यक सुझाव और उपायों से लोगों को अवगत किया. मध्य प्रदेश के बुहरानपुर में कई छोटी बड़ी जन सभाऐं हुई। जिसमें समाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही साथ जन प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
अभी तक 2000 हजार किलोमीटर तक की यात्रा कर चुके युवा विभु वत्स ने कहा कि कि फ्री वाटर इंडिया हमारा मिशन है. पैदल जन जागृति यात्रा जल जंगल और जमीन के लिए शुरू की गई है. शहर बढ़ रहे हैं पर्यावरण का नुकसान हो रहा है. हम सब समस्त नदी से नदी को जोड़ने, जंगल को संरक्षित करने तथा जमीन और पर्यावरण को अक्षुण्ण रखने के लिए मुंबई, मध्य प्रदेश, तेलगना, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार झारखंड पहुंचेगें। जन जागृति के क्रम में लोगों को इस मिशन के लिए जोड़ा जा रहा है. यहां बता दें कि विभु बिहार के मोकमा के रहने वाले हैं जो एक अभिनेता भी हैं, तथा कई सामाजिक कार्यो में शरीक रहने वाले विभु पहले भी साईकल से भारत भ्रमण कर चुके है। 2001में मणिपुर से दिल्ली – पर्यावरण, आतंकवाद, नारी शक्ति , स्वरोजगार आदि
मिशन में विभु शामिल रहे हैं. वही फिल्म सृष्टि के निर्माता 40 वर्षीय डॉ राम डाल्टन जो मूलत: झारखंड के निवासी हैं, जो लगभग 1दर्जन डॉक्युमेंट्री फिल्में बनाई हैं। उन्होंने कहा कि निःशुल्क पानी मिलना हमारा अधिकार है. जंगल, जमीन और पर्यावरण को सुरक्षित रखना भी हमारा कर्तव्य है. इसकी सुरक्षा के लिए सभी को कृत संकल्पित होकर इस मिशन में भागीदार बनना चाहिए. अब देखना यह है कि हमारे युवाओं की यह नेक पहल लोगों को कितना जागरूक कर पाता है। वास्तव में यह कदम बहुत ही सार्थक और समीचीन है।

(डॉ डाल्टन एवं विभु वत्स से नसीम रब्बानी की बातचीत)

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