बरेली। जिले के ग्राम प्रधान इन दिनो परेशान है। नवनियुक्त ग्राम प्रधानों को गांव की बागड़ोर संभाले अभी पांच महीने ही हुए है लेकिन विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ उनकी परेशानी बढ़ गई है। दरअसल बीते पांच साल मे ग्राम निधि से खर्च किए गए रुपयों का हिसाब देना है। यह बजट भले ही पूर्व प्रधानों और प्रशासकों ने खर्च किया लेकिन उनका हिसाब अब नए बने ग्राम प्रधानों को देना है। इस आदेश से परेशान प्रधान अब पुराने रिकार्ड खंगालकर उनका हिसाब करने मे जुटे हैं। उन्हें इस बात का डर है कि पूर्व प्रधान के कार्यकाल में हुई गड़बड़ी उनके गले मे अटक जाए। बताते चलें कि ग्राम पंचायतों के विकास के लिए शासन की ओर से हर साल भारी-भरकम बजट दिया जाता है। वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2020-21 के बीच 14वें वित्त के तहत जिले की सभी ग्राम सभाओं को करीब 700 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई थी। इसे ग्राम प्रधानों ने विकास कार्यों में खर्च किया है। हालांकि इस दौरान प्रधानों पर सचिवों के साथ मिलकर धनराशि में गबन करने के भी आरोप लगे हैं। कई शिकायतों पर मामला सही पाए जाने पर अफसरों ने प्रधानों और सचिवों पर कार्रवाई करते हुए गबन की गई रकम की रिकवरी भी कराई थी। नए प्रधान चुने जाने के बाद पूर्व प्रधानों ने खर्च की गई धनराशि का कोई हिसाब-किताब ही नही दिया है। इसके बाद अब प्रशासन ने पूर्व प्रधान के कार्यकाल में खर्च किए गए धन का ब्योरा मांगा है। शासन के आदेश के बाद पंचायती राज विभाग के साथ ही पांच महीने पहले चुने गए प्रधानों में हड़कंप मचा हुआ है। इसके चलते वर्तमान प्रधान अब पूर्व प्रधान द्वारा खर्च की गई निधि का हिसाब बनाने में जुट गए हैं। डीपीआरओ धमेंद्र कुमार ने बताया कि शासन की तरफ से हिसाब मांगा गया है। जल्द ही पूरे हिसाब का ब्योरा तैयार कर रिपोर्ट भेजी जाएगी।।
बरेली से कपिल यादव