*हंसी ठिठोली और पारंपरिक फागों की खुमारी की बीच फागुन का महोत्सव के तौर पर मनाने की पुरानी परंपरा पचौरी
*परपंरा की अनोखी पहल-मजदूरी करके शाम को जब थका हरा किसान वापस आता है तब फाग की महफिलों की मस्ती उसकी पूरी थकान दूर कर उसे तरो ताजा कर देती है
मध्यप्रदेश /जबलपुर – शहर से लेकर दूरस्थ गांव तक स्थानीय परंपरानुसार विविध आयोजन के मध्य महापर्व होली का त्योहार पांच दिन पहले से ही शुरू हो जाता है इसी तरह जबलपुर जिले के पाटन ब्लाक के रैठरा गांव सहित ग्रामीण क्षेत्रों में फगुआरों की टोलियां देर शाम तक होली के पांच दिन पहले से ही फाग गायन में मस्त हो जाती है होली दहन के पांच दिन पहले से ही पाटन ब्लाक के रैठरा गांव की चौपालों में फाग गायन होली मिलन समारोह से लेकर अन्य कार्यक्रम होते हैं इस दौरान भाई दोज का पर्व और पंचमी महोत्सव भी बड़ी ही धूमधाम और हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है पाटन के रैठरा में पचौरी परिवार के घर की चौपाल में फाग गायन होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया था वहां के लोगों का मानना है कि रैठरा ग्राम में फाग गायन पूरे गांव सहित आसपास के लोगों को एक करना है और लोगों के बीच पर्यावरण संरक्षण और लोक संस्कृति के संरक्षण का संदेश देना होता है पचौरी परिवार के लोगों द्वारा बताया जाता है कि फागुन के महीने में गांव की चौपालों में फाग की अनोखी महफिलें जमती है जिनमें रंगों की बौछार के बीच गुलाल अबीर से लोगों को तिलक लगाकर फगुआरों के होली गीत फाग जब फिजा में गूंजते है तो ऐसा लगता है कि श्रंगार रस की बारिश हो रही है फाग के बोल सुनकर बच्चे जवान व बूढ़े भी झूम उठते हैं फाग सी मस्ती का नजारा कहीं और देखने को नहीं मिलता है रैठरा गांव की चौपाल में सजने वाली फाग की महफिलों में ढोलक की थाप और मंजीरे की झंकार के साथ मदमस्त किसानों के बीच फाग गायन के गीत गाने का अंदाज ए बयां इतना अनोखा और जोशीला होता है कि श्रोता मस्ती में चूर होकर थिरकनेए नाचने पर मजबूर हो जाते हैं
रैठरा ग्राम निवासी एवं समाजसेवी महेश नारायण उमेश नारायण शिवें महादेव प्रसाद अरुण कुमार मुकेश शैलेंद्र पचौरी नारायण सिंह देवी सिंह पटेल बताते हैं है कि फागों गायन में जादू है दिनभर की मेहनत मजदूरी करके शाम को जब थका हारा किसान वापस आता है तब फाग की महफिलों की मस्ती उसकी पूरी थकान दूर कर उसे तरो ताजा कर देती है हमारे ग्राम रैठरा में फागुन को गांव के लोगों के बीच महोत्सव के तौर पर मनाने की पुरानी परंपरा है हर साल गांव में फागों की धूम मची रहती है जिससे हर जगह मस्ती छाई रहती है शैलेंद्र पचौरी बताते हैं कि फाग में विरह श्रृंगार ठिठोली और वीर रस भरे गीत गाए जाते हैं इसलिए फाग का जादू किसानों के सिर चढ़कर बोलता है जहां किसानों के बीच फिजा में गूंजकर किसानों को मदमस्त कर देते हैं 25 मार्च में पाटन ब्लाक के रैठरा ग्राम में हुए फागों कार्यक्रम समारोह में पूरा गांव एकत्रित हुआ था जिसमें सभी लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था गांव में यह परपंरा आज भी बदस्तूर जारी है 25 मार्च को हुए कार्यक्रम समारोह में शैलेंद्र पचौरी नारायण सिंह देवी सिंह पटेल महेश नारायण उमेश नारायण शिवें महादेव प्रसाद अरुण कुमार मुकेश सहित सभी रैठरा ग्राम के लोग मौजूद थे जिन्होंने फागों गायन का आनंद लिया।
– अभिषेक रजक पाटन /जबलपुर