बरेली। परिवहन निगम की लापरवाही के चलते रोडवेज डिपो की 26 बसो का संचालन की अवधि समाप्त होने के बाद भी सड़कों पर दौड़ रही है। खटारा रोडवेज बसों के दुर्घटनाग्रस्त का खतरा काफी अधिक बना रहता है। अधिकारी डिपो में कम रोडवेज बसें होने से इन बसों के संचालन की बात कह रहे है। रूहेलखंड रोडवेज डिपो की ज्यादातर बसें पुरानी होने से अक्सर बीच रास्ते में बंद पड़ जाती हैं। कुछ दिन पहले भी सेटेलाइट से सवारी लेकर जा रही पीलीभीत डिपो की बस रास्ते में खराब हो गई थी। पुरानी बसों को ड्राइवर रोड पर ले जाने से कतराते है। बसों की संचालन अवधि आठ लाख किलोमीटर होती है। इसके अलावा पांच लाख किलोमीटर तक चलने के बाद बस की गिनती पुरानी बसों में की जाती है। बरेली रोडवेज डिपो में 26 बसें ऐसी हैं जो 8 लाख किलोमीटर का सफर पूरा कर चुकी है। इसके बावजूद उनका लगातार संचालन किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि बसों के संचालन का मानक मुख्यालय स्तर पर तय किए गए। कोरोना संक्रमण के फैलने से अंकुश लगाने के लिए रेलवे कुछ सुपरफास्ट ट्रेनों को छोड़कर यात्री ट्रेनों का संचालन अग्रिम आदेशों तक बंद रख कर रखा है। जिसकी वजह से बसों में यात्रियों की भीड़ अधिक रहती है। रोडवेज अधिकारियों द्वारा हर रोड पर बस का संचालन इस आशा से किया जा रहा है कि यात्रियों को आने-जाने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो। जिसके लिए 26 ऐसी बसों को रूट पर लगा दिया गया है जो अपनी आयु का किलोमीटर दोनों ही पूरी कर चुकी है। जिन्हें रोड के बजाय वर्कशॉप में होना चाहिए था। रोडवेज के अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक दर्जन से अधिक नई बसें इसी माह में आने वाली है। जिनके आते ही उन्हें दिल्ली लखनऊ रोड पर लगा दिया जाएगा। उस रूट से कुछ बसों को हटाकर छोटे मार्ग वाले रूट पर लगा दिया जाएगा। जो 26 खटारा बसें रूट पर चल रही हैं उन्हें कंडम घोषित कर दिया जाएगा।
जो खटारा बसें रूट पर चल रही है। उन्हें 15 सितंबर के बाद किसी भी दशा में रूट पर नहीं चलने दिया जाएगा।
– एसके बनर्जी क्षेत्रीय प्रबंधक बरेली परिक्षेत्र
बरेली से कपिल यादव