नहीं थम रहा पलायन, खाली हो रहे गांव :कागज तक सिमट गये रोजगार देने के दावे

मध्यप्रदेश/ तेन्दूखेड़ा- जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा क्षेत्र के अनेक गांव ऐसे है जहां पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है ग्रामीण जनता लगातार काम की तलाश में जबलपुर पाटन शहपुरा एवं पुणे दिल्ली महाराष्ट्र तक के लिए रोजाना जा रही है गांव में काम उपलब्ध कराने के दावे कागज तक ही सिमटकर रह गये है बताया गया कि जिले के के ग्रामीण अंचलों में गांव में ही काम देने के लिए शासन की तमाम योजनाएं संचालित हो रही है लेकिन बस स्टैंड से रोजाना पलायन कर रहे ग्रामीणों की सख्या इन दावों को खोखला साबित कर रही है प्रशासन भी योजनाओं को कागजों पर ही दौड़ाता हुआ नजर आ रहा है ग्राम पंचायत स्तर पर काम नहीं है जिससे लोगों को मजबूरी में पलायन करना पड़ रहा है जबलपुर की ओर जाने वाले वाहन में प्रतिदिन मजदूरों व श्रमिकों से फुल होकर जा रहे हैं प्रशासन जिले में काम होने का दावा करता है लेकिन हालात ठीक विपरीत है पंचायतों में काम नहीं है किन्हीं पंचायत में काम है भी तो काम करने के बाद मजदूरों को मजदूरी के लिए महीनों चक्कर लगाने पड़ रहे हैं बीते दो माह से प्रशासन चुनाव की तैयारियों में लगा रहा जिससे रोजगारोन्मुखी कार्यों की ओर ध्यान नहीं दिया गया जिसका परिणाम लोगों को मजबूरी में पलायन करना पड़ा है चुनाव के पहले भी खकरिया सहजपुर धनगौर जामुखेडा अजीतपुर खमरिया सैलबाड़ा इमलीडोल एवं अनेक क्षेत्र से सैंकड़ों की तादात में लोगों ने पलायन किया है कई गांव में मतदान पर भी इसका असर दिखाई दिया है जहां कम संख्या में पलायन हुआ है अब चुनाव के बाद भी पलायन का क्रम नहीं थमा है लोगों को पंचायतों में काम नहीं मिल रहा है मनरेगा योजना भी यहां फेल होती हुई नजर आ रही है बताया गया कि ग्रामीण बच्चों समेत पलायन कर रहे हैं जिससे उनकी शिक्षा भी प्रभावित हो रही है इस और प्रशासन और गरीब के परिवार से जुड़े विभाग ध्यान नहीं दे रहे हैं सिर्फ कागज में आंकड़े दौड़ाये जा रहे हैं अब चुनाव होने के बाद प्रशासन और मैदानी अमला आराम कर रहा है और यहां लोग पलायन करते जा रहे हैं प्रतिदिन सुबह के समय वाहनों में मजदूरों को सैंकड़ों की संख्या में सवार होते हुए देखा जा सकता है ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत में कोई सुनने वाला नहीं है प्रशासन के पास पहंचने पर आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता है जिससे पलायन के अलावा कोई रास्ता नहीं है जहां जाकर कम से कम परिवार का पेट भर सकते हैं।

– विशाल रजक, तेन्दूखेड़ा

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