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नगर निगम के अधिकारियों के फांगिग को लेकर दावे फेल, भेदभाव की रणनीति अपना रहे कर्मचारी

बरेली। कोरोना की धीमी रफ्तार के बाद मच्छरों के बढ़ते प्रकोप के चलते मलेरिया और डेंगू का खतरा लोगों में बढ़ता जा रहा है। नगर निगम के द्वारा कराए जा रहे फांगिंग का आलम ये है कि फांगिंग करने वाले पार्षदों के घर के आसपास धुंआ छोड़ते हुए निकल जाते है अन्य गली व सड़कों से उनको कोई लेना देना नहीं रहता है। यदि कोई व्यक्ति फांगिंग करने वालों से अपने तरफ फांगिग की बात करता है तो कर्मचारी उसको ये बोलकर चुप रहने को विवश कर देते है कि पार्षद से कहलवा दो फांकिगंग करवा देंगे। प्रदेश सरकार के द्वारा नगर निगम को हर साल दस लाख से ज्यादा का वजट मच्छरों के प्रकोप से बचाने केलिए फांगिंग पर खर्च किया जाता है। संजयनगर के गली नम्बर सात में रहने वाले मुकेश कुमार, प्रेमराज सिंह ने अपर नगर आयुक्त से शिकायत करके अवगत कराया है कि फांगिंग कर्मी हमारी मार्ग पर नहीं आते है पार्षद के घर केआसपास धुंआ छोड़ती हुई गाड़ी चली जाती है। यही हाल मलूकपुर और बिहारीपुर का भी है संकरी गलियों केसाथ ही चौड़ी मार्गो पर भी फांगिंग करते हुए कतराते देखे जाते है। जबकि नगर आयुक्त से लेकर मेयर डा. उमेश गौतम समस्त वार्डो में फांगिंग की हवा हवाई बात करते नजर आते है। इसकी असलियत जाननी है तो वार्डो में जाकर देखे असलियत का नजारा इलाके के लोग खुद ही बयां कर देंगे।।

बरेली से कपिल यादव

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